पानी के अभाव में नाउम्मीद होने लगे हैं किसान

जयनगर : बारिश नहीं होने के कारण क्षेत्र के किसान अब खेती को लेकर ना उम्मीद होने लगे है. जून अंतिम व जुलाई प्रथम में थोड़ी बहुत बारिश हुई तो किसानों ने अपने खेतों को तैयार किया. मक्का बोया और धान का बिचड़ा लगाया. मगर आज स्थिति यह है कि बिचड़े तैयार होने से पहले […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 19, 2019 1:36 AM

जयनगर : बारिश नहीं होने के कारण क्षेत्र के किसान अब खेती को लेकर ना उम्मीद होने लगे है. जून अंतिम व जुलाई प्रथम में थोड़ी बहुत बारिश हुई तो किसानों ने अपने खेतों को तैयार किया. मक्का बोया और धान का बिचड़ा लगाया. मगर आज स्थिति यह है कि बिचड़े तैयार होने से पहले कहीं पीले, तो कहीं काले पड़ने लगे हैं. मगर धान रोपनी का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाकर निहार रहे हैं. मगर किसानों पर भगवान इंद्र की मेहरबानी नहीं हो रही है.

बारिश नहीं होने की स्थिति में खेती नहीं होने पर किसानों को अकाल का भय सताने लगा है. किसानों की माने तो इस वर्ष बीज भी महंगी दर पर खरीदना पड़ा है. वहीं पूंजी लगाकर बैठे खाद-बीच विक्रेता किसानों के आने का इंतजार कर रहे है. नदी तालाब की स्थिति दयनीय है. मॉनसून से मायूस किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि का वर्षा जब कृषि सुखानी ईश्वर ही नाराज है तो शिकायत किससे करें.

धान के बिचड़े कहीं पीले, तो कहीं काले हो रहे है

मक्का मडुआ की खेती तो पहले से प्रभावित थी. अब माॅनसून की बेरुखी से धान की खेती पर भी संकट मंडरता नजर आ रहा है. हर वर्ष सावन माह में लगभग आधा रोपा हो जाता था. मगर इस वर्ष न बिचड़ा तैयार हुआ है और न रोपा शुरू हुआ है. यह आने वाले अकाल की निशान है. किसानों के लिए यह वर्ष निराशा जनक साबित हो रहा है.

शांति देवी, महिला किसान रेभनाडीह

अब तक बारिश नहीं होने से किसानों को नुकसान हुआ है. बारिश होती तो अभी गाय बैल, बकरी व अन्य मवेशियों को हरा चारा उपलब्ध होता. मगर हरियाली दूर दूर तक नहीं दिखती. दलहनी फसल की भी खेती नहीं हो पायी है. अब धान पर भी आफत है. पहले एक वर्ष कि धान की उपज से साल भर आराम से माड़-भात चल जाता था. मगर इस वर्ष चावल तो दूर पशु चारा का भी संकट है.

यशोदा देवी, महिला किसान, रेभनाडीह

एक समय था जब आषाढ़, सावन व भादो में किसानों के पास फुर्सत नहीं होती थी. मगर इस वर्ष बारिश नहीं होने से किसानों के पास फुर्सत ही फुर्सत है. हम किसान फुर्सत के क्षणों में संभावित अकाल व इससे होने वाले समस्या के प्रति चिंतित है. प्रखंड व जिला प्रशासन स्थिति का आकलन कर राज्य सरकार को भेजे और सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाये.

बैजनाथ यादव, तेतरियाडीह

अब तक धान का रोपा नहीं होना हम किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. क्षेत्र में कई ऐसे गरीब किसान है जो अपनी खेत की उपज से साल भर गुजारा करते हैं. मगर इस वर्ष बारिश ने ऐसा धोखा दिया कि धान तो दूर सही ढंग से मक्का मडुआ भी नहीं लग सका. सरकार किसानों की समस्या पर ध्यान दें ताकि किसान चैन से जी सके.

शंभु यादव, चमगुदोकला

हम किसानों की अधिकतर जमीन केटीपीएस बांझेडीह के निर्माण में चल गयी. शेष बची जमीन पर संसाधनों के अभाव के बावजूद जैसे-तैसेखेती कर पूरे परिवार के लिए वर्ष का अनाज उपजाया करते थे. हमारीखेती बारिश भरोसे होती थी. इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण खेतीबाड़ी का हाल बुरा है. स्थानीय सांसद, विधायक किसानों की समस्या से सरकार को अवगत कराये.

बीरेंद्र यादव, खेडोबर

किसान धान का रोपा नहीं, सीधी बुआई करें

धान रोपा के चक्कर में पड़ने का न तो समय बचा और ना ही इसके लिए मौसम अनुकूल है. ऐसे में किसान धान का रोपा नहीं, बल्कि धान की सीधी बुआई करें. बुआई के बाद खेत में खर पतवार की दवा डाले. क्षेत्र सूखा की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में मक्का मडुआ की भी सीधी बुआई करें. बेहतर होगा की धान से ज्यादा दलहन तेलहन की अरहर, तिल, मूंग आदि की खेती पर विशेष ध्यान दें.

डाॅ सुधांशु शेखर, विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि विज्ञान केंद्र, जयनगर कोडरमा

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