उ.प्रा. विद्यालय डुमरसिंघा में शिक्षकों का टोटा, 150 बच्चों की पढ़ाई एक शिक्षक के भरोसे

प्रभात खबर की टीम जब नारायणपुर प्रखंड के डुमरसिंघा गांव स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पहुंची, तो यहां की बदहाल व्यवस्था ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी.

By BINAY KUMAR | December 16, 2025 11:48 PM

नारायणपुर. नारायणपुर शैक्षणिक अंचल की शैक्षणिक व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सरकारी दावों की हकीकत जाननी हो तो क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांवों के विद्यालयों का जायजा लेना ही काफी है. प्रभात खबर की टीम जब नारायणपुर प्रखंड के डुमरसिंघा गांव स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पहुंची, तो यहां की बदहाल व्यवस्था ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी. विद्यालय में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. नामांकन पंजी के अनुसार यहां कुल 150 विद्यार्थी दर्ज हैं, जबकि मंगलवार को 105 बच्चे विद्यालय पहुंचे थे. हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े छात्र-छात्राओं की जिम्मेदारी महज एक शिक्षक के कंधों पर है. विद्यालय में पदस्थापित एकमात्र शिक्षक गोविंद कुमार चौबे दो कमरों में बैठे बच्चों को संभालने की जद्दोजहद करते नजर आए. कभी एक कमरे में पढ़ाते तो कभी दूसरे में, लेकिन संसाधनों और समय की कमी के कारण पढ़ाई सुचारू रूप से हो पाना मुश्किल दिखा. शिक्षक गोविंद कुमार चौबे ने बताया कि अकेले शिक्षक के भरोसे इतने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना बेहद कठिन है. पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि कई बार विभागीय अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी. सरकारी नियमों के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति अनिवार्य है, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके, लेकिन डुमरसिंघा का यह विद्यालय इन नियमों की खुलेआम अनदेखी का उदाहरण बन गया है. यहां शिक्षा व्यवस्था केवल औपचारिकता बनकर रह गयी है. ग्रामीणों में भी इस स्थिति को लेकर भारी नाराजगी है. उनका कहना है कि बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है. यदि जल्द ही अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी, तो बच्चों की बुनियादी शिक्षा पर इसका गंभीर असर पड़ेगा. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से शीघ्र हस्तक्षेप कर विद्यालय में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की मांग की है, ताकि बच्चों को उनका हक की शिक्षा मिल सके. क्या कहते हैं बीईईओ : शिक्षक की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी. बहुत जल्द उस विद्यालय में एक शिक्षक की कमी को दूर किया जाएगा. एक और शिक्षक की प्रतिनियुक्ति बहुत जल्द होगी. – सर्केल मरांडी, बीइइओ, नारायणपुर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है