क्रिश्चियन स्कूलों से भाजपा के बच्चों का नाम काटें वहां के प्रिंसिपल : डॉ इरफान
नारायणपुर. झारखंड सरकार के मंत्री डॉ इरफान अंसारी एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं.
एक बार फिर अपने विवादित बयानों से घिर गये हैं झारखंड सरकार के मंत्री, कहा
प्रतिनिधि, नारायणपुर. झारखंड सरकार के मंत्री डॉ इरफान अंसारी एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं. फतेहपुर गांव में शुक्रवार को चेकडैम के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने क्रिश्चियन स्कूलों और भाजपा से जुड़े बच्चों को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है. मंत्री के बयान के बाद जिला से लेकर राज्य स्तर तक राजनीति गरमा गयी है. मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों द्वारा क्रिसमस जैसे पवित्र त्योहार में बाधा उत्पन्न की गई, जो निंदनीय है. उन्होंने कहा कि आज भारत में जो अंग्रेजी शिक्षा प्रचलित है, उसमें क्रिश्चियन समुदाय का बड़ा योगदान रहा है. कॉन्वेंट, मिशन और कार्मल जैसे स्कूलों का उदाहरण देते हुए मंत्री ने कहा कि इन संस्थानों में पढ़कर बच्चे अंग्रेजी सीखते हैं और आगे चलकर देश-विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं. मंत्री ने कहा कि इन स्कूलों में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बच्चे भी पढ़ते हैं, जो आगे चलकर लंदन जैसे देशों में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने क्रिश्चियन स्कूलों के प्रिंसिपल और डायरेक्टर से अपील करते हुए कहा कि वे अपने विद्यालयों से भाजपा से जुड़े बच्चों का नाम काट दें. मंत्री ने यह भी कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो सरकार और वह स्वयं ऐसे स्कूलों को पूरा संरक्षण और हर संभव सहयोग देंगे. डॉ इरफान अंसारी ने भाजपा पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर भाजपा भाईचारे और एकता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर समाज को आपस में लड़ाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में सभी समुदायों का समान योगदान है और यहां नफरत की राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.भाजपा का पलटवार, बच्चों को राजनीति से जोड़कर हीन भावना को दिखा रहे हैं मंत्री
मंत्री के इस बयान पर भाजपा ने कड़ा पलटवार किया है. भाजपा जिलाध्यक्ष सुमित शरण ने कहा कि स्कूलों का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा देना होता है, न कि उन्हें राजनीतिक पहचान के आधार पर विभाजित करना. मंत्री द्वारा “भाजपा के बच्चे” जैसे शब्दों का प्रयोग करना और उन्हें स्कूल से नाम हटाने की सलाह देना उनकी मानसिकता को दर्शाता है. भाजपा जिलाध्यक्ष ने आगे कहा कि यदि मंत्री वास्तव में धार्मिक सौहार्द और क्रिश्चियन समुदाय के इतने ही समर्थक हैं, तो वे अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम बाहुल्य गांवों में चर्च और मिशनरी स्कूल क्यों नहीं खुलवाते हैं. उन्होंने मंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वे मुस्लिम बहुल इलाकों में चार-चार मिशनरी स्कूलों के लिए जमीन उपलब्ध कराते हैं, तभी उनके बयान को गंभीरता से लिया जा सकता है. सुमित शरण ने मंत्री के बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि इस तरह की हल्की बयानबाजी से समाज में भ्रम फैलता है और शिक्षा जैसे संवेदनशील विषय को राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि बच्चों और शिक्षा को राजनीति से जोड़कर मंत्री आखिर क्या साबित करना चाहते हैं? फिलहाल मंत्री के बयान और भाजपा के पलटवार के बाद यह मुद्दा राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में आ गया है. आने वाले दिनों में इस पर और प्रतिक्रियाएं सामने आने की संभावना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
