पंचायतों में लगा बायोमीट्रिक डिवाइस, फिर भी सचिव बना रहे हैं मैन्युअल उपस्थिति
सरकार के डिजिटल मिशन पर नारायणपुर के पंचायत सचिव पानी फेर रहे हैं. पंचायत भवनों में बायोमीट्रिक डिवाइस लगाए गए हैं, लेकिन सब व्यर्थ है.
नारायणपुर. सरकार पंचायती व्यवस्था को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसके तहत पंचायत भवनों में कर्मियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमीट्रिक डिवाइस लगाए गए हैं, ताकि कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके. लेकिन नारायणपुर प्रखंड के पंचायत सचिव सरकार की इस पहल को धता बता रहे हैं. जानकारी के अनुसार, प्रखंड क्षेत्र के सभी 25 पंचायतों में बायोमीट्रिक मशीनें लगायी गयी हैं. नियम के तहत पंचायत सचिव को प्रत्येक कार्य दिवस पर सुबह 10 बजे और शाम 4 बजे पंचायत भवन में उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है. इसके बावजूद अधिकांश सचिव बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग नहीं कर रहे हैं और प्रखंड कार्यालय में मैन्युअल रजिस्टर के माध्यम से उपस्थिति बना रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव जानबूझकर पंचायत भवन में उपस्थित नहीं होते, जिससे उन्हें अपनी व्यक्तिगत सुविधा अनुसार काम करने की छूट मिल जाती है. इसके कारण आम लोगों को पंचायत स्तर के कार्यों के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. मनरेगा, आवास, पेंशन, जाति एवं आय प्रमाण पत्र जैसी आवश्यक योजनाओं से संबंधित कार्य सचिव की अनुपस्थिति में अटक जाते हैं. स्थानीय लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि सचिवों की यह कार्यशैली मनमानी और नियमविरुद्ध है. सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि पंचायत सचिव पंचायत भवन में रहकर कार्य करेंगे और लोगों को वहीं सेवा देंगे. बावजूद इसके सचिवों की जवाबदेही तय करने वाला कोई नहीं दिख रहा है. बताया गया कि पहले जो बायोमीट्रिक मशीनें लगी थीं, वे तकनीकी कारणों से निष्क्रिय हो गयी थीं. इसके बाद सरकार ने नए वर्जन के डिवाइस उपलब्ध कराए हैं, लेकिन फिर भी पंचायत सचिव बहानेबाजी कर रहे हैं और डिवाइस का उपयोग नहीं कर रहे. ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन इस लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए सभी पंचायत सचिवों की उपस्थिति की नियमित जांच करे तथा जो सचिव नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए. सरकार की डिजिटल पारदर्शिता की दिशा में यह कदम तभी सार्थक होगा, जब जमीनी स्तर पर कर्मियों की जवाबदेही तय की जाए और तकनीकी संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित हो. तभी “डिजिटल पंचायत” का सपना साकार हो पाएगा. क्या कहते हैं पदाधिकारी : पंचायत भवन में लगे बायोमीट्रिक उपस्थिति से ही सचिव को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है. अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो इसकी जांच होगी. – पानसोर मरांडी, बीपीआरओ, नारायणपुर.
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