गोविंदपुर-साहिबगंज हाईवे बना अवैध परिवहन का सुरक्षित रास्ता
नारायणपुर में बालू का अवैध खेल बेखौफ जारी है. हाईवे पर दिनदहाड़े फर्राटे भरते ट्रैक्टर इस गोरखधंधे की पोल खोलते नजर आते हैं.
नारायणपुर. थाना क्षेत्र में बालू का अवैध कारोबार बरक़रार है और इस पर अंकुश लगाने की तमाम कोशिशें धरी की धरी रह गयी है. गोविंदपुर-साहिबगंज हाईवे पर दिनदहाड़े फर्राटे भरते ट्रैक्टर इस गोरखधंधे की पोल खोलते नजर आते हैं. हर दिन सैकड़ों घनफुट बालू हाईवे से गुजरकर थाना क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों तक बिना किसी रोक-टोक के पहुंच रहा है. आलम यह है कि बालू माफियाओं में किसी भी तरह का डर या प्रशासनिक दबाव दिखायी नहीं देता, जिससे स्पष्ट होता है कि पूरी गतिविधि बेहद मजबूत सेटिंग और संरक्षण में संचालित हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बालू के इस अवैध खेल ने गरीब लाभुकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल दिया है. अबुआ या पीएम आवास योजना के लाभुकों को प्रति ट्रैक्टर बालू के लिए 3000 से 3500 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं. अधिकृत दरों की तुलना में ये कीमतें कहीं ज्यादा हैं, जिससे गरीब परिवारों के लिए घर बनाना और भी कठिन हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि बालू की निकासी और परिवहन को सरकारी नियमों के तहत वैध तरीके से कराया जाए, तो न केवल लोगों को कम दाम में बालू मिलेगा, बल्कि योजनाओं के लाभुकों को भी काफी राहत मिलेगी. अवैध कारोबार की चर्चा अब सोशल मीडिया के विभिन्न समूहों में भी आम हो गयी है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किसकी शह पर यह कारोबार इस कदर फल-फूल रहा है. लोगों का आरोप है कि बालू का अवैध परिवहन बेखौफ तभी संभव है, जब इस धंधे में लगे लोग पुलिस-प्रशासन की मजबूत सेटिंग का लाभ उठा रहे हों. कई ग्रामीणों का कहना है कि जहां आम लोगों को थोड़ी-सी गलती पर भी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है. वहीं अवैध बालू लदे ट्रैक्टर आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं. इस अवैध कारोबार ने पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है. क्षेत्र की जीवनदायनी बराकर नदी का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटता जा रहा है. नदी के घटियारी, बुटबेरिया, चितामी और नयाडीह घाट बेतरतीब खनन के कारण संकट में हैं. लगातार हुए अवैध दोहन से घाटों की संरचना क्षतिग्रस्त हो रही है, जिससे नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि बालू माफियाओं की तुरंत जांच हो, अवैध परिवहन पर नकेल कसी जाए और घाटों का वैज्ञानिक सर्वे कराकर वैध खनन की व्यवस्था की जाए. लोगों का कहना है कि मजबूत कार्रवाई न होने से गरीबों पर आर्थिक आफत बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधन भी बर्बाद हो रहे हैं. प्रशासन की सक्रियता ही इस गोरखधंधे पर रोक लगा सकती है.
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