अमृत सरोवर योजना : विभाग की लापरवाही से सड़-गल गए पौधे
पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे, पर जमीनी सच्चाई बिल्कुल उलट है. अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही इन योजनाओं की सच्चाई उजागर कर रही है.
नारायणपुर. एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है और अमृत सरोवर योजना के माध्यम से जल संरक्षण के साथ हरियाली बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही इन योजनाओं की सच्चाई उजागर कर रही है. नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र में अमृत सरोवर के समीप पौधारोपण के लिए मंगाए गए सैकड़ों पौधे समय पर रोपण नहीं होने के कारण सड़-गलकर नष्ट हो गए. मिली जानकारी के अनुसार, आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र के अमृत सरोवरों के आसपास पौधारोपण किया जाना था. इसके लिए बाकायदा विभिन्न प्रजातियों के पौधे मंगवाए गए थे. लेकिन अधिकारियों और संबंधित कर्मियों की घोर लापरवाही के चलते ये पौधे प्रखंड के एक पुराने और जर्जर क्वार्टर में यूं ही रख दिए गए. न तो उनकी समुचित देखरेख की गयी और न ही समय पर रोपण की व्यवस्था हुई. परिणामस्वरूप, पौधे वहीं सूखते और सड़ते चले गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर भी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मी जवाबदेही नहीं निभा पा रहे हैं, तो सरकार की योजनाओं का उद्देश्य कैसे पूरा होगा. ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि पौधारोपण के नाम पर सरकारी राशि खर्च कर पौधे मंगवाना और फिर उन्हें यूं ही बर्बाद कर देना किसी भी हाल में उचित नहीं है. यह न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाही का भी उदाहरण है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इन पौधों की जिम्मेदारी पंचायत सचिव और मनरेगा से जुड़े संबंधित अधिकारियों एवं कर्मियों को दी गयी थी. बावजूद इसके, न तो निगरानी की गयी और न ही समयबद्ध कार्रवाई हुई. पौधों के सड़-गल जाने के बाद भी किसी प्रकार की जवाबदेही तय नहीं की गयी है. ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. लोगों का कहना है कि यदि समय रहते दोषी अधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में भी इसी तरह योजनाएं कागज़ों में सिमटकर रह जाएंगी और धरातल पर हरियाली की बजाय केवल सूखे पौधे ही नजर आएंगे.
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