Jharkhand news: देह व्यापार का भंडाफोड़! 10 का नोट पहुंचा, मतलब रुपये की डिलिवरी हो गयी, पुलिस पर उठ रहे सवाल

Jamshedpur Crime Hindi News : बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर में 25 अप्रैल को छापेमारी के दौरान गिरफ्तार जुगसलाई के कारोबारी राजेश उर्फ लड्डू मंगोतिया, मानगो पोस्ट ऑफिस रोड निवासी व स्क्रैप कारोबारी दीपक अग्रवाल, सीतारामडेरा ईस्ट बंगाल कॉलोनी निवासी रजत जग्गी को देह व्यापार के मामले में चार दिन बाद पुलिस ने मंगलवार को जेल भेज दिया.

By Amitabh Kumar | April 29, 2020 8:43 AM

जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर में 25 अप्रैल को छापेमारी के दौरान गिरफ्तार जुगसलाई के कारोबारी राजेश उर्फ लड्डू मंगोतिया, मानगो पोस्ट ऑफिस रोड निवासी व स्क्रैप कारोबारी दीपक अग्रवाल, सीतारामडेरा ईस्ट बंगाल कॉलोनी निवासी रजत जग्गी को देह व्यापार के मामले में चार दिन बाद पुलिस ने मंगलवार को जेल भेज दिया. साथ ही इस मामले में सीएच एरिया निवासी कारोबारी राजू भालोटिया को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा. चारों को बिष्टुपुर थाना में कांड संख्या 88/20 में जेल भेजा गया है. सोमवार को इसी मामले में होटल अलकोर के मालिक राजीव दुग्गल, मैनेजर धनंजय सिंह, सीएच एरिया निवासी कारोबारी शरद पोद्दार, जुगसलाई निवासी दिलीप अग्रवाल और होटल से पकड़ायी कोलकाता की युवती को पुलिस ने जेल भेजा था. हालांकि पुलिस ने सोमवार को लड्डू मंगोतिया, दीपक अग्रवाल और रजत जग्गी को जेल नहीं भेज कर थाने में रखकर ही पूछताछ की थी.

दबाव या पुलिस की छवि सुधारने की कोशिश

पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. एक ओर लड्डू मंगोतिया समेत उनके साथियों को जेल भेजे जाने का कारण पुलिस पर दबाव बताया जा रहा है. वहीं, इस बात की भी चर्चा है कि पुलिस अपनी छवि सुधारने की नीयत से चारों को जेल भेजा है. दरअसल, 25 अप्रैल को होटल में छापेमारी के दौरान लड्डू मंगोतिया, दीपक अग्रवाल और रजत जग्गी को गिरफ्तार किया था, लेकिन तब पुलिस ने सिर्फ लॉकडाउन का उल्लंघन के तहत प्राथमिकी दर्ज कर थाने से ही जमानत पर सभी को रिहा कर दिया था. मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने पुन: तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन तीनों को गिरफ्तार नहीं किया. यहां तक कि पुलिस ने तीनों को क्लीन चिट दे दिया था.

25 अप्रैल को होटल अलकोर में मौज मस्ती करते पकड़ाये थे कई लोग

25 अप्रैल को पुलिस ने बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर में छापेमारी की थी, जहां स्पा सेंटर खुला था. वहां से पुलिस ने मौज-मस्ती करते लड्डू मंगोतिया, दीपक अग्रवाल और रजत जग्गी को गिरफ्तार किया था. छापेमारी के दौरान होटल में मौज-मस्ती कर रहे कुछ कारोबारी व कुछ महिलाएं भागने में सफल रहीं थी. छापेमारी के बाद पुलिस ने होटल की जांच नहीं की. वहीं, मामला को रफा-दफा करने का प्रयास कर तीनों के खिलाफ सिर्फ लॉकडाउन उल्लंघन के तहत प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी दिखा थाने से जमानत देकर रिहा कर दिया. मामले के तूल पकड़ने पर एसएसपी अनूप बिरथरे, एसपी सिटी सुभाष चंद्र जाट समेत पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी होटल अलकोर पहुंचे और जांच की. पुलिस ने होटल के 69 कमरों की जांच की. इस क्रम में होटल के कमरा नंबर 402 से पुलिस ने कोलकाता की युवती को हिरासत में लिया. वहीं, पुलिस ने होटल से सीसीटीवी फुटेज भी जब्त किया.

10 का नोट पहुंचा, मतलब रुपये की डिलिवरी हो गयी

होटल से गिरफ्तार कोलकाता की युवती ने पुलिस के समक्ष चौंकाने वाले खुलासे किये हैं. पूछताछ में बताया है कि शरद पोद्दार से पिछले 13 माह से उसकी दोस्ती थी. एक वर्ष पूर्व होटल रमाडा में भी वह ठहरी थी. गत 22 मार्च को किसी दोस्त के जन्मदिन पार्टी पर शरद पोद्दार ने उसे बुलाया था. शरद ने ही गाड़ी बुक कर दी थी और उसी दिन आते वक्त बीच-बीच में गाड़ी की चेकिंग भी हुई थी. शरद पोद्दार ने फोन पर किसी से संपर्क कर गाड़ी का पास बनवाया था. होटल पहुंचने पर वह कमरा नंबर 402 में ठहरी थी. इसी दिन शाम में शरद होटल में मिलने पहुंचा था. साथ खाना खाने के बाद वह चला गया. कमरा शरद पोद्दार ने ही बुक कराया था. युवती ने बताया कि शरद हर दिन मिलने आता था और जरूरत के सामान उपलब्ध कराता था. कभी-कभी होटल में राहुल अग्रवाल भी सामान पहुंचाने आता था. राहुल अग्रवाल का ट्रेवल एजेंसी का कारोबार है. युवती के अनुसार शरद पोद्दार ने अब तक पांच से छह लाख रुपये उसे दिये हैं, जो कि कैश में दिये जाते थे. 10 रुपये के नोट का नंबर देने से कंफर्म होता था कि रुपये मिल गये हैं. मैं 10 रुपये का सीरियल नंबर भेजती थी, तब उसका कोई आदमी रुपये लेकर मुझे देने आता था. जिसे उक्त 10 रुपये का नोट दे देती थी. इससे पता चल जाता था कि रुपये मिल गये. युवती के अनुसार शरद उसका ब्वाॅयफ्रेंड है और दोनों पति-पत्नी की तरह रहते हैं. युवती ने पूछताछ में बताया कि उसके पास तीन मोबाइल हैं, जिसमें एक मोबाइल शरद ने ही खरीद कर दिये थे. युवती ने बताया कि उसने सातवीं तक पढ़ाई की है. उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी. वह पहले मुंबई में रहती थी, लेकिन बाद में कोलकाता में रहने लगी.

पहले लॉकडाउन का उल्लंघन फिर देह व्यापार का आरोप

सोमवार को पुलिस ने बताया था कि लड्डू मंगोतिया, दीपक अग्रवाल और रजत जग्गी को लेकर देह व्यापार से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं मिला है. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि तीनों के खिलाफ पुलिस को सोमवार की रात में साक्ष्य मिल गया और तीनों को देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया गया. वहीं, सीएच एरिया निवासी व कारोबारी राजू भालोटिया को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया. जानकारी के अनुसार होटल अलकोर से मिले सीसीटीवी फुटेज में चारों की तस्वीर मिली है. इसी के आधार पर पुलिस ने सभी को जेल भेजा है. मंगलवार को चारों की गिरफ्तारी करने के बाद उन्हें एमजीएम अस्पताल मेडिकल जांच के लिए भेजा गया, जिसके बाद सीजेएम के आवासीय कार्यालय में पेश किया गया. पुलिस के अनुसार लड्डू मंगोतिया समेत अन्य के खिलाफ देह व्यापार में संलिप्तता सामने आयी है, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

कहीं 23 फरवरी, तो कहीं 23 मार्च से युवती के होटल में ठहरने की तारीख

बिष्टुपुर पुलिस कांड संख्या 88/20 में प्राथमिकी के दौरान जोश में होश गंवाने का काम कर बैठी. डीएसपी (सीसीआर) ने होटल अलकोर के मालिक राजीव दुग्गल, मैनेजर धनंजय सिंह, शरद पोद्दार, दिलीप अग्रवाल और कोलकाता की युवती के खिलाफ देह व्यापार की प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान पुलिस ने तारीख में गड़बड़ी की है. पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि कांड संख्या 88/20 में दर्ज की गयी प्राथमिकी में 26 अप्रैल को होटल अलकोर से सीसीटीवी फुटेज व कमरों की जांच के बाद वरीय अधिकारी द्वारा टीम गठित कर 27 अप्रैल को जांच का निर्देश दिया गया था. जांच क्रम में सीएच एरिया नार्थ वेस्ट रोड नंबर 13 निवासी शरद पोद्दार के होटल में आने की पुष्टि हुई है. पूछताछ में होटल के मैनेजर धनंजय सिंह ने बताया कि कमरा नंबर 402 में 23 फरवरी 2020 से कोलकाता की युवती को शरद पोद्दार में रखवाया है, जहां शरद पोद्दार का आना जाना है. जबकि बाद में गिरफ्तारी के बाद युवती ने बताया है कि 23 मार्च से वह होटल में रह रही है. प्राथमिकी में धनंजय सिंह द्वारा युवती के ठहरने की तारीख 23 फरवरी बतायी गयी है, जबकि युवती द्वारा 23 मार्च को ठहरने की बात बतायी गयी है. प्राथमिकी में तारीख को लेकर असामनता पायी गयी है. अब देखना यह है कि पुलिस किस तारीख को सही मानती है और उक्त तारीख को किस तरह प्रमाणित करती है.

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