Jamshedpur News : परिचर्चा में बोले वक्ता- ओलचिकी लिपि संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
Jamshedpur News : करनडीह स्थित दिशोम जाहेरथान में रविवार को ओलचिकी लिपि की 100 साल की विरासत-प्रतिबिंब और पुनरुद्धार विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया.
ओलचिकी लिपि की 100 साल की विरासत-प्रतिबिंब और पुनरुद्धार विषय पर परिचर्चा
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करनडीह स्थित दिशोम जाहेरथान में रविवार को ओलचिकी लिपि की 100 साल की विरासत-प्रतिबिंब और पुनरुद्धार विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि सलखू मुर्मू, चुनियन रघु मुर्मू और दुर्गाचरण मुर्मू उपस्थित थे. परिचर्चा को संबोधित करते हुए सलखू मुर्मू ने कहा कि ओलचिकी लिपि केवल लेखन प्रणाली नहीं, बल्कि संताल समाज की सांस्कृतिक चेतना और पहचान की आत्मा है. इसे नयी पीढ़ी तक पहुंचाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है. चुनियन रघु मुर्मू ने अपने संबोधन में पंडित रघुनाथ मुर्मू के योगदान को याद करते हुए कहा कि ओलचिकी लिपि ने संताली भाषा को वैश्विक मंच पर पहचान दिलायी है और इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है. दुर्गाचरण मुर्मू ने कहा कि शिक्षा, साहित्य और डिजिटल माध्यमों में ओलचिकी के व्यापक उपयोग से ही इसका पुनरुद्धार संभव है. जर्नी ऑफ ओलचिकी स्क्रिप्ट पर पीसी हेंब्रम, रोल ऑफ ओलचिकी इन स्ट्रेंथिंग संताल आइडेंटिटी एंड एजुकेशन पर सुखचांद सोरेन, चैलेंजेस एंड अपॉर्चुनिटी इन स्टैंडराइजेशन ओलचिकी ऑर्थोग्राफी पर लखाई बास्के और फ्यूचर विजन, इंटेग्रेटिंग ओलचिकी इन मॉडर्न टेक्नोलॉजी एंड एआई पर जीरेन जेवियर टोपनो ने विस्तृत जानकारी दी. इससे पूर्व रविवार को उद्घाटन सत्र में आइसवा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मदन मोहन सोरेन बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन कुशल हांसदा व धन्यवाद ज्ञापन मानसिंह माझी ने दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
