विभावि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियों पर संगोष्ठी, कहा
हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय में शुक्रवार को आर्यभट्ट सभागार में एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ.
नई शिक्षा नीति लागू होने से सपनों का भारत जरूर बनेगा: कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा समग्र शिक्षा की परिकल्पना को लागू करना चुनौती 29हैज23में- कुलपति प्रो चंद्रभूषण शर्मा हजारीबाग. हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय में शुक्रवार को आर्यभट्ट सभागार में एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इसका विषय था “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की चुनौतियां।” यह संगोष्ठी अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ, उच्च शिक्षा संवर्ग, मानव विज्ञान विभाग एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुई. अध्यक्षता डॉ. विनोद रंजन ने की, जबकि मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा थे. प्रो. शर्मा ने शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप को गहराई से पढ़ने, समझने और उस पर चिंतन करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि समावेशी और समग्र शिक्षा की परिकल्पना को स्थानीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की आवश्यकताओं के अनुरूप लागू करना एक बड़ी चुनौती है. पाठ्यक्रमों का चयन, आधारभूत संरचना की उपलब्धता और मानवीय संसाधनों की सीमाएं इस कार्य को और कठिन बनाती हैं. डॉ. विनोद रंजन ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के समावेश, अकादमिक और व्यवसायिक विषयों के समन्वय, डिजिटल माध्यमों के प्रयोग और मूल्यांकन प्रणाली से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डाला. वहीं, विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ. इंद्रजीत कुमार ने पीपीटी के माध्यम से सकल नामांकन अनुपात, शिक्षक-छात्र अनुपात, अकादमिक व प्रशासकीय स्वायत्तता, क्रिटिकल थिंकिंग और आधारभूत संरचना से जुड़ी चुनौतियों का विस्तार से वर्णन किया. प्रो. बिमल कुमार मिश्रा ने इंटर्नशिप की मूल अवधारणा को साकार रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया और महाविद्यालयों में संरचनात्मक असमानता की ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और इंडस्ट्री-एकेडमी सहयोग की चुनौतियों पर भी चर्चा की. मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. मिथिलेश कुमार सिंह ने कला विषयों के विद्यार्थियों के लिए बहुविषयक पाठ्यक्रमों की तैयारी, सॉफ्ट स्किल विकास और स्थानीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री की उपलब्धता को चुनौतीपूर्ण बताया.
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