मजदूर संगठनों ने कहा, फिक्स टर्म से स्थायी नौकरी खत्म होगी
नये लेबर कोड के खिलाफ तीन दिनी विरोध कार्यक्रम शुरू
हजारीबाग. केंद्र सरकार ने पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर 2019 में एक व 2020 में तीन लेबर कोड बनाये थे. इन लेबर कोड का देशभर के मजदूर संगठनों ने विरोध किया था. इस विरोध बावजूद केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 को नोटिफिकेशन जारी कर चार लेबर कोड को पूरे देश में लागू कर दिया. इसके खिलाफ बिहार स्टेट सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन और सीआइटीयू हजारीबाग ने तीन दिवसीय विरोध कार्यक्रम की शुरुआत की. कार्यक्रम के पहले दिन रेलवे रिजर्वेशन काउंटर के पास नोटिफिकेशन की प्रति जलाकर विरोध दर्ज कराया गया. संगठनों ने कहा कि नयी लेबर कोड से सरकारी नौकरी पूरी तरह खत्म हो जायेगी. कंपनियां मजदूरों व कर्मचारियों की नियुक्ति एक या दो वर्ष के फिक्स टर्म अवधि पर करेंगी. फिक्स अवधि पूरी होने के बाद किसी मजदूर को दोबारा रखा जायेगा या नहीं, इसकी गारंटी कोड में नहीं है. इससे स्थायी रोजगार की अवधारणा कमजोर हो जायेगी. उन्होंने कहा कि इस कोड में राज्य सरकारों से न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार छीन लिया गया है, जिससे मजदूरी निर्धारण केंद्र पर निर्भर हो जायेगा. इससे मजदूरों के हित प्रभावित होंगे.
हड़ताल व संगठन बनाने का अधिकार सीमित करने का आरोप
मजदूर संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि हड़ताल के अधिकार को सीमित कर दिया गया है. मजदूर संगठन बनाने का अधिकार और अपनी मांगों को प्रभावी तरीके से उठाने की स्वतंत्रता भी कमजोर कर दी गयी है. उन्होंने बताया कि वेतन निर्धारण प्रक्रिया से मजदूर प्रतिनिधियों को बाहर कर दिया गया है, जबकि यह प्रक्रिया पहले त्रिपक्षीय होती थी. अब वेतन मनमाने तरीके से तय होने का खतरा बढ़ गया है. प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों को कोर्ट जाने का अधिकार भी सीमित कर दिया गया है. इससे देश में ठेकेदारी प्रथा मजबूत होगी और स्थायी कामगार भी फिक्स टर्म में धकेल दिये जायेंगे. कार्यक्रम में गणेश कुमार सीटू, तपेश्वर राम, विजय कुमार, साकेत कुमार, सुमन शेखर, मनोज कुमार, अखिलेश मिश्रा, अशोक कुमार, महेंद्र राम और मजीद अंसारी मौजूद थे. अंत में उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को 12 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
