हजारीबाग के कटकमदाग में किसान मिनी लॉकडाउन से हैं परेशान, खरीदार नहीं मिलने से सब्जियां हो रही बेकार

Jharkhand news (कटकमसांडी, हजारीबाग) : झारखंड में मिनी लॉकडाउन की मार सबसे अधिक किसानों को पड़ रही है. मिनी लॉकडाउन में जब लोग घरों मे बैठे हैं, तो किसान चिलचिलाती धूप में अपने खेतों में काम कर रहे हैं, ताकि उनका परिवार भी आमलोगों की तरह जीवन यापन कर सके. लेकिन, किसानों के सपना को कोरोना महामारी के कारण झारखंड में लागू मिनी लॉकडाउन ने निराश कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2021 7:13 PM

Jharkhand news (उमाकांत शर्मा, कटकमसांडी, हजारीबाग) : झारखंड में मिनी लॉकडाउन की मार सबसे अधिक किसानों को पड़ रही है. मिनी लॉकडाउन में जब लोग घरों मे बैठे हैं, तो किसान चिलचिलाती धूप में अपने खेतों में काम कर रहे हैं, ताकि उनका परिवार भी आमलोगों की तरह जीवन यापन कर सके. लेकिन, किसानों के सपना को कोरोना महामारी के कारण झारखंड में लागू मिनी लॉकडाउन ने निराश कर दिया है.

हजारीबाग जिला अंतर्गत कटकमदाग प्रखंड के ढेंगुरा गांव के करीब एक दर्जन किसान 10 हेक्टेयर जमीन पर टमाटर, बेंगन और तरबूज की खेती की है, लेकिन मिनी लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. व्यापारी के कहने पर किसानों ने मजदूर लगाकर टमाटर, बेंगन और तरबूज तोड़वाया, लेकिन अब मिनी लॉकडाउन की बात कहकर आने से कतरा रहे हैं. जिसके कारण किसानो के चेहरे पर परेशानी की लकीरें साफ दिख रही है.

कटकमदाग प्रखंड के ढेंगुरा के किसान मोहम्मद कलीम कहते हैं कि गांव के समिति से खेती करने के लिए तीन लाख रुपये कर्ज यह सोचकर लिया था कि बेहतर ढंग से खेती कर अच्छी आमदनी करेंगे. लेकिन, मिनी लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण सपने पर पानी फिर गया.

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कहते हैं कि अफसोस तो इस बात का है कि व्यापारी के कहने पर पैसे लगाकर टमाटर और बेंगन तोड़वाया, लेकिन अब मिनी लॉकडाउन का हवाला देकर सब्जियां लेने से कतरा रहे हैं. ऐसी स्थिति में तोड़े गये फसल बर्बाद हो रहा है. उन्होंने कहा कि 5 एकड में टमाटर और 3 एकड़ में बेंगन की खेती की है, लेकिन फसल जैसे ही निकलना शुरू हुआ कि सरकार ने लाॅकडाउन लगा दिया.

अब तो फसल को घर से ले जाने के लिए वाहन परमिट के लिए कई नियमों से गुजरना पड़ेगा और अगर ई-पास बन भी जायेगा, तो सब्जी कहां बेचेंगे यही चिंता सता रही है. किसान कहते हैं कि ई-पास के नाम पर कई जगह प्रताड़ित भी होना पड़ेगा. कहते हैं कि अगर सरकार इसकी भरपाई नहीं करेगी, तो घर में खाने के लाले पड़ जायेंगे.

वहीं, इसी गांव के बाबू गोप, मोहम्मद शौकत, मोहम्मद सेराज, मोहम्मद मजहर, मोहम्मद मकसूद, उमेश गोप, मोहम्मद मुर्शिद किसान भी इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं. इसके अलावा एक अन्य किसान सुरेश राणा ने तरबूज की खेती की है, लेकिन तरबूज के बिक्री नहीं होने से खासा परेशान हैं.

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Posted By : Samir Ranjan.

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