World Population Day 2021 : झारखंड के गुमला में घट रही आदिम जनजातियों की आबादी, धर्म बदलने पर क्यों हैं मजबूर

World Population Day 2021, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले में गरीबी, अशिक्षा व सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण आदिम जनजाति धर्म बदल रहे हैं. जिससे आदिम जनजातियों की संख्या धीरे-धीरे घट रही है. अब यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुंचने लगी है. जिले के नौ प्रखंडों में 52 पंचायत स्थित 171 गांवों में 3904 आदिम जनजाति परिवार निवास करते हैं, परंतु इसमें कई ऐसे गांव हैं. जहां की 70 से 80 प्रतिशत लोगों ने धर्म बदल लिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2021 1:00 PM

World Population Day 2021, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला जिले में गरीबी, अशिक्षा व सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण आदिम जनजाति धर्म बदल रहे हैं. जिससे आदिम जनजातियों की संख्या धीरे-धीरे घट रही है. अब यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुंचने लगी है. जिले के नौ प्रखंडों में 52 पंचायत स्थित 171 गांवों में 3904 आदिम जनजाति परिवार निवास करते हैं, परंतु इसमें कई ऐसे गांव हैं. जहां की 70 से 80 प्रतिशत लोगों ने धर्म बदल लिया है.

गुमला जिले में कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां सभी लोगों ने दूसरा धर्म स्वीकार कर लिया है. सबसे ज्यादा बिशुनपुर, चैनपुर, डुमरी प्रखंड क्षेत्र की आदिम जनजातियों ने धर्म बदला है. आदिम जनजाति के प्रतिनिधियों के अनुसार जिले में करीब 22 हजार आदिम जनजाति हैं. इसमें करीब 10 हजार लोगों ने धर्म बदल लिया है. धर्म बदले लोगों की सूची एक आदिम जनजाति युवक तैयार कर रहा है.

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जनजातियों के अनुसार धर्म बदलने का कारण

: बकरी व बकरा का वितरण सही से नहीं हुआ है. कागजों में बकरी-बकरा बांटकर जनजातियों का हक मार लिया गया है.

: आवास निर्माण में भी गड़बड़ी हुई है. आदिम जनजातियों के रहने के लिए पक्का आवास बनना था, लेकिन नहीं बना.

: आदिम जनजाति घरों में शौचालय नहीं. आजादी के 73 वर्ष हो गया. अभी भी कई आदिम जनजाति गांवों में शौचालय नहीं है.

: आदिम जनजातियों के घर तक पहुंचाकर डाकिया योजना का राशन देना है, परंतु घर तक पहुंचाकर राशन नहीं मिलता है.

: आदिम जनजाति गांवों में सरकारी योजनाओं को सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारा गया है. समस्या से जूझ रहे लोग.

: पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य की समस्या अभी भी गांवों में बनी हुई है. कई ऐसे गांव हैं. जहां के लोग नदी व पझरा पानी पीते हैं.

: अशिक्षा, जागरूकता की कमी व नशापान के कारण भी आदिम जनजाति दूसरों के बहकावे में आकर दूसरा धर्म अपना रहे हैं.

आदिम जनजाति बहुल पंचायतों के नाम

बिशुनपुर प्रखंड के बिशुनपुर, बनारी, गुरदरी, अमतीपानी, सेरका, निरासी, नरमा, हेलता, चीरोडीह, घाघरा, डुमरी व जारी प्रखंड के जरडा, डुमरी, सिकरी, जुरहू, करनी, गोविंदपुर, मेराल, मझगांव, अकासी, उदनी, जैरागी, खेतली, पालकोट प्रखंड के डहूपानी, कुल्लूकेरा, कामडारा प्रखंड के रेड़वा, गुमला के घटगांव, आंजन, रायडीह प्रखंड के ऊपरखटंगा, कांसीर, पीबो, जरजट्टा, सिलम, कोंडरा, केमटे, कोब्जा, नवागढ़, घाघरा प्रखंड के विमरला, घाघरा, रूकी, सेहल, आदर, दीरगांव, सरांगो, चैनपुर प्रखंड के बामदा, जनावल, छिछवानी, कातिंग, मालम व बरडीह पंचायत में सबसे अधिक आदिम जनजाति निवास करते हैं.

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ये जनजाति गुमला में रहते हैं

असुर, कोरवा, बृजिया, बिरहोर, परहैया आदिम जनजाति के लोग गुमला में रहते हैं. कुल 52 पंचायत के 171 गांवों में आदिम जनजातियों का डेरा है. कुल परिवारों की संख्या 3904 है. आबादी 22 हजार से अधिक है.

प्रखंडवार आदिम जनजाति परिवारों की संख्या

प्रखंड पंचायत की संख्या गांव की संख्या परिवार संख्या

बिशुनपुर 10 52 1825

चैनपुर 06 39 846

डुमरी 12 29 507

घाघरा 07 27 470

रायडीह 09 11 61

गुमला 02 03 027

पालकोट 02 02 014

कामडारा 01 01 011

जारी 03 07 143

टोटल 52 171 3904

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असुर जनजाति के अध्यक्ष विमलचंद्र असुर बताते हैं कि हमारे गुमला जिले में बड़ी तेजी से आदिम जनजातियों की जनसंख्या घट रही है. कारण बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा व नशापान है. सरकार की योजना का भी लाभ सही तरीके से नहीं मिलता है. जिस कारण आदिम जनजातियों की संख्या कम हो रही है. हालांकि जिन गांवों में बड़े पैमाने पर लोगों ने धर्म बदला है. उन्हें अपने धर्म में वापस लाने के लिए जल्द अभियान शुरू किया जायेगा.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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