World Environment Day 2020 : गुमला के 5 किसानों की मेहनत लायी रंग, बेकार पड़ी 6 एकड़ जमीन पर छायी हरियाली

World Environment Day 2020 : शुक्रवार (05.06.2020) को विश्व पर्यावरण दिवस है. आज भी कई लोग पर्यावरण को संरक्षित करने और जंगलों को हरा-भरा करने में लगे हैं. ऐसे ही गुमला जिले के सिसई प्रखंड अंतर्गत बोंडो पंचायत के 5 किसान हैं, जो विरान पड़े जमीन पर हरियाली ला दी है. 5 साल से बेकार पड़े 6 एकड़ जमीन पर अब पौधे लहलहा रहे हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 4, 2020 7:34 PM

World Environment Day 2020 : सिसई (गुमला) : शुक्रवार (05.06.2020) को विश्व पर्यावरण दिवस है. आज भी कई लोग पर्यावरण को संरक्षित करने और जंगलों को हरा-भरा करने में लगे हैं. ऐसे ही गुमला जिले के सिसई प्रखंड अंतर्गत बोंडो पंचायत के 5 किसान हैं, जो विरान पड़े जमीन पर हरियाली ला दी है. 5 साल से बेकार पड़े 6 एकड़ जमीन पर अब पौधे लहलहा रहे हैं. चारों तरफ सखुआ का पेड़ लगा है. कल तक जो जमीन बेकार थी, आज चारों तरफ हरियाली नजर आ रही है. कैसे विरान जगह आज हरा-भरा हो गया. पढ़ें, प्रफुल भगत की रिपोर्ट.

सिसई प्रखड के बोंडो पंचायत के 5 किसानों ने अपनी 6 एकड़ बेकार पड़ी जमीन पर हरियाली लायी है. किसानों ने कहा कि हमारे गांव-घर में पशु हैं, जिन्हें अक्सर जंगल चराने ले जाते हैं. इसलिए अपने ही बेकार पड़े जमीन को जंगल का रूप दे दिया. अब हमारे खेत में जंगल है, जहां पशुओं को चराने ले जाते हैं. भोजन भी जंगल से पशुओं को मिल जाता है.

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सामूहिक शक्ति से वीरान जगह बन गया जंगल

बोंडो पंचायत के मादा गांव निवासी छोटेलाल उरांव, सुनीता उरांव, ग्लोरियस उरांव, अमित उरांव, रामा उरांव ने पिछले 5 साल की कड़ी परिश्रम एवं लगन से 6 एकड़ जमीन को सखुआ के पौधों से हरा-भरा कर दिया है. किसानों ने बताया कि वर्षों पहले चारों ओर जंगल था, लेकिन धीरे- धीरे सब खत्म हो गया. आसपास का क्षेत्र विरान नजर आने लगा. हमारे पशुओं को चराने व भोजन कराने में काफी परेशानी होने लगी.

इस समस्या को देखते हुए किसानों ने खाली पड़ी जमीन को जंगल बनाने का निर्णय लिया. सभी किसानों ने 5 साल पहले अपने-अपने जमीन पर पेड़ लगाने को सोचा. अकेले पेड़ लगाने से पटवन व जानवरों से पहरेदारी की समस्या होती थी. इसलिए सभी ने मिलकर अपने खेत को जंगल का रूप दे दिया.

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दूसरी ओर, बोंडो पंचायत के मादा, सुरसा और अरको के दर्जनों किसान इन दिनों नदी व जीवित नालों में छोटी- छोटी मिट्टी का बांध बना कर पानी रोककर खेती कर रहे हैं. नदी में मेढ़ बनाकर रोके गये पानी का उपयोग अपने खेतों में लगी फसलों की पटवन करने में करते हैं.

Posted By : Samir ranjan.

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