1921 में बंगाली क्लब में मां की प्रतिमा स्थापित कर शुरू की गयी थी पूजा
1921 में बंगाली क्लब में मां की प्रतिमा स्थापित कर शुरू की गयी थी पूजा
गुमला. जब देश गुलाम था और अंग्रेजों की हुकूमत थी. भारतवासी अंग्रेजों के जुल्मों सितम सह रहे थे. ऐसे समय में गुमला शहर में दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई. गुमला शहर में दुर्गा पूजा पर्व मनाने की परंपरा भी अनोखी है. यहां सभी जाति के संगम का मेल है. हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई रहते हैं. ऐसे इतिहास के पन्नों में सर्वप्रथम बंगाली समुदाय के लोगों ने 1921 में दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. बंगाली क्लब, जहां आज पक्का मकान व सुंदर कलाकृतियां नजर आती हैं. उस समय खपड़ानुमा भवन था. 1921 में जब पहली बार पूजा हुई, तो गुमला विकसित नहीं था. यह बिहार प्रदेश का छोटा गांव हुआ करता था. दृश्य भी उसी तरह था. परंतु मां दुर्गा की कृपा और लोगों के दृढ़ विश्वास ने कलांतर में गुमला का स्वरूप बदला. आज सिर्फ गुमला शहर व शहर से सटे इलाकों में 27 स्थानों पर पूजा होती है. गुमला शहर से 10 किमी दूर स्थित प्रस्तावित प्रखंड टोटो में दुर्गा पूजा का इतिहास वर्षों पुराना है. सर्वप्रथम वर्ष 1950 में दुर्गा मंदिर पूजा समिति टोटो ने दुर्गा पूजा शुरू की. फिर अनामिका दुर्गा पूजा समिति टोटो ने वर्ष 1986 में पूजा शुरू की. वहीं खरका की पूजा समिति ने 2012 में दुर्गा पूजा का श्रीगणोश किया. इसके बाद लगातार यहां दुर्गा पूजा मनायी जा रही है. अंग्रेज जमाने में टोटो में अंग्रेजों ने थाना की स्थापना की थी. आज थाना का भवन तो नहीं है, लेकिन जिस स्थान पर अंग्रेज थाना स्थापित किये थे. आज वहां झाड़ी व मिट्टी के अवशेष हैं. उस समय भी टोटो में पूजा होती थी. लेकिन प्रतिमा स्थापित कर 1950 से पूजा की शुरुआत की गयी है.
गुमला जिले में लगभग 90 पूजा पंडालों में खर्च होंगे साढ़े तीन करोड़ रुपये
गुमला. आदिवासी बहुल गुमला जिले में श्री दुर्गा पूजा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. श्रीदुर्गोत्सव को लेकर पूजा पंडाल बनाने का काम तेजी से चल रहा है. सभी पूजा समिति सुंदर पंडाल बनाने में लगे हैं. गुमला जिले में पूजा पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर 90 स्थानों पर पूजा होती है. इस वर्ष समिति के लोग वृहत रूप से पूजा की तैयारी में हैं. इसके लिए पैसा भी खूब खर्च हो रहा है. गुमला में एक समय था, जब एक पूजा समिति मात्र 10 रुपये से 100 रुपये में श्रीदुर्गा पूजा कर लेता था. लेकिन अब महंगाई के कारण बजट इतना बढ़ गया, कि एक पूजा समिति का बजट लाखों रुपये में जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में एक पूजा समिति का तीन लाख रुपये तक का बजट जाता है. वहीं शहर में सात से आठ लाख रुपये का बजट है. एक आंकड़ा के अनुसार गुमला जिले में 90 स्थानों पर पूजा होती है. अगर एक पूजा समिति कम से कम चार लाख रुपये भी खर्च करता है, तो लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये सिर्फ दुर्गा पूजा में खर्च होती है.
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