नवरतनगढ़ बना भारतीय पुरातात्विक स्थल

राजधानी से 65 किलोमीटर दूर सिसई में स्थित है यह पांच मंजिला महल रांची : गुमला के सिसई प्रखंड में स्थित नवरतनगढ़ का महल और इसके आसपास के मंदिर समूहों को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 27 सितंबर को भारतीय पुरातात्विक स्थल की सूची में शामिल कर लिया है. इस तरह नवरतनगढ़ को मिलाकर अब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 9, 2019 3:02 AM

राजधानी से 65 किलोमीटर दूर सिसई में स्थित है यह पांच मंजिला महल

रांची : गुमला के सिसई प्रखंड में स्थित नवरतनगढ़ का महल और इसके आसपास के मंदिर समूहों को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 27 सितंबर को भारतीय पुरातात्विक स्थल की सूची में शामिल कर लिया है. इस तरह नवरतनगढ़ को मिलाकर अब झारखंड में कुल 13 पुरातात्विक स्थल हो गये हैं, जो राष्ट्रीय महत्व के हैं.

इधर नवरतनगढ़ को संरक्षित और विकसित करने के लिए इसका डिटेल कंजर्वेशन प्लान (डीसीपी) अनुमोदन के लिए दिल्ली भेजा गया है. सहमति मिलते ही इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण का काम शुरू हो जायेगा. पूरा परिसर 12.49 एकड़ में फैला है. वर्ष 1678 के आसपास निर्मित पांच मंजिला महल नागवंशी राजाअों ने बनाया था, जिन्होंने छोटानागपुर पर शासन किया था.

गुमला से 32 किमी तथा राजधानी रांची से करीब 65 किमी दूर नवरतनगढ़ तक पक्की सड़क है.

झारखंड में राष्ट्रीय महत्व के 13 पुरातात्विक स्थल

असुर स्थल हेंसा, खूंटी टोला, कुंजला, सारिदकेल व कटहर टोली (सभी खूंटी), हर्राडीह के मंदिर (तमाड़ रांची), प्राचीन प्रस्तर मंदिर व शिव लिंग (लोहरदगा), बरादरी के अवशेष (साहेबगंज), जामा मस्जिद (साहेबगंज), बेनीसागर के मंदिरों के अवशेष (पश्चिमी सिंहभूम), रुआम में पुराना किला (पूर्वी सिंहभूम), इटागढ़ में कुलुगढ़ा व बासपत (सरायकेला-खरसांवा) और नवरतनगढ़ (गुमला).

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण मुख्यालय, दिल्ली को नवरतनगढ़ का डिटेल कंजर्वेशन प्लान भेजा गया है. सहमति मिलने के बाद सबसे पहले संबंधित स्थल से खर-पतवार हटाये जायेंगे और सफाई होगी. इसके बाद संरक्षण का काम शुरू होगा. इसमें स्थानीय लोगों और जिला प्रशासन का सहयोग जरूरी है.

-डॉ एसके भगत, अधीक्षण पुरातात्विद (एएसआइ, रांची सर्कल)

नागवंशी राजाओं ने किया था निर्माण 12.49 एकड़ एरिया होगा संरक्षित

महल का आकर्षण : रानी वास, कमल सरोवर, भूल-भुलैया, गुप्त कमरा, महल के गुंबद के भीतर बने विभिन्न पशुअों के चित्र तथा यहां के मंदिर समूह (जगन्नाथ मंदिर, भैरव मंदिर, कपिल नाथ मंदिर)

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