आदिम जनजातियों के घर तक नहीं पहुंच रहा तेल और राशन

बिशुनपुर(गुमला) : गुमला जिले के जंगल व पहाड़ों में रहने वाले विलुप्त प्राय: आदिम जनजातियों को घर तक पहुंचा कर राशन (चावल व तेल) नहीं मिल रहा है, जबकि सरकार का निर्देश है कि 35 किलो चावल व दो लीटर केरोसिन हर पीटीजी परिवार (आदिम जनजाति) के घर पहुंचा कर दिया जाये. लेकिन गुमला जिला […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 16, 2019 12:55 AM

बिशुनपुर(गुमला) : गुमला जिले के जंगल व पहाड़ों में रहने वाले विलुप्त प्राय: आदिम जनजातियों को घर तक पहुंचा कर राशन (चावल व तेल) नहीं मिल रहा है, जबकि सरकार का निर्देश है कि 35 किलो चावल व दो लीटर केरोसिन हर पीटीजी परिवार (आदिम जनजाति) के घर पहुंचा कर दिया जाये.

लेकिन गुमला जिला में निवास करने वाले असुर, कोरवा, बृजिया, बिरहोर, परहैया जनजाति के लोगों को यह सुविधा नहीं मिल रही है. कुछ लोगों को मिल रही है, लेकिन अधिकतर लोगों के घर तक राशन नहीं पहुंच रहा है. बल्कि हो यह रहा है कि आपूर्ति विभाग द्वारा पीटीजी लाभुकों का राशन डीलरों को थमा दिया जा रहा है.

जो लाभुक डीलर के घर तक पहुंच गये, उन्हें राशन मिल रहा है, लेकिन जो लाभुक डीलर के घर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, उन्हें राशन नहीं मिल रहा है. जिस कारण यहां पीटीजी लाभुकों के राशन में गोलमाल हो रहा है. आपूर्ति विभाग के अनुसार, गुमला जिले के 3904 आदिम जनजाति परिवार को डाकिया योजना के तहत राशन बांटना है. प्रभात खबर लगातार गांव के दौरे में आदिम जनजाति परिवार से मिल कर राशन मिलने की जानकारी लेता रहा है.

परसापानी गांव के लोगों से भी पूछा गया, तो उन लोगों ने कहा कि घर तक पहुंचा कर राशन नहीं मिलता है. बल्कि गांव से तीन चार किमी दूर स्थित दूसरे गांव में उनका राशन गिरा दिया जाता है, जिसे वे वहां से जाकर लाते हैं. ज्ञात हो कि गुमला जिले में असुर, कोरवा, बृजिया, बिरहोर, परहैया आदिम जनजाति के लोग रहते हैं. कुल 52 पंचायत के 171 गांवों में आदिम जनजातियों का डेरा है. कुल परिवारों की संख्या 3904 है. आबादी 20 हजार से अधिक है.

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