बालू उठाव से सिंचाई पर संकट, बसंतराय के किसानों की फसल हो रही प्रभावित

किसानों की दास्तां. बालू की अवैध ढुलाई ने बिगाड़ दी है सिमरिया की सूरत

By SANJEET KUMAR | November 27, 2025 11:13 PM

बसंतराय प्रखंड क्षेत्र के किसानों की अच्छी पैदावार धान के अलावा अन्य फसलों में भी दिख रही है. लेकिन यह तभी संभव है जब किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा मिल सके. इस बार मानसून ने किसानों का साथ दिया, इसलिए फसल ठीक ठाक है, लेकिन पिछले कई वर्षों से सिंचाई की कमी के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. तालाब और अन्य जल संचयन केंद्रों में पानी जमा होना आवश्यक है ताकि किसान सालभर खेती कर सकें.

नदियों से बालू उठाव बना संकट

बसंतराय क्षेत्र में कई नदियां हैं, जिनसे किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलने की संभावना रहती है. लेकिन नदियों से हो रहे बड़े पैमाने पर बालू उठाव के कारण किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इस वजह से प्रखंड क्षेत्र की नदियां अपना अस्तित्व खोती नजर आ रही हैं. बालू माफिया अन्नदाताओं के भविष्य को प्रभावित करने में लगे हुए हैं. प्रखंड क्षेत्र के कोरका पंचायत अंतर्गत सिमरिया मौजा में गेरुआ नदी पर सिमरिया बांध है. इस बांध से 22 मौजा के अन्नदाता वर्षो से श्रमदान कर बालू का बांध बनाकर करीब चार हजार एकड़ जमीन की सिंचाई कर फसल उगाते आ रहे हैं. दस साल पहले अन्नदाताओं ने ढाई से तीन फीट ऊंचा बांध बनाकर अपने खेत सिंचित किये थे. लेकिन जब से नदी से बालू उठाने का काम शुरू हुआ, तब से किसानों को बांध बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

बियर सिंचाई समिति का गठन और वर्तमान स्थिति

2012 में सिमरिया बियर सिंचाई समिति का गठन किया गया था. इसमें मो नसीरुद्दीन अध्यक्ष, मो सिद्दीक उपाध्यक्ष, अब्दुल कैय्युम सचिव और मो शाहबुद्दीन कोषाध्यक्ष बनाये गये थे. सचिव अब्दुल कैय्युम ने बताया कि अन्नदाता मिलकर बांध का निर्माण किया करते थे, लेकिन अब नदी के गहरे होने के कारण यह काम मुश्किल हो गया है. सिरमरया, कोरका, लटन पकड़िया, उकसा, बहुरना, बड़हारा, खट्टी, हिलावै, बरण, महेशपुर, रामपुर, जहाज कित्ता, कपेटा, कोला कित्ता, शामपुर, कैथपुरा, झपनिया, बिसमभर चक, लैथा, काशिम अली टीकर, भट्ठा, रूपनी, परसिया और केवां गांव के किसान इस सिंचाई संकट से प्रभावित हैं.

किसानों ने कहा–

आज क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए किसी पर भी हाथ फैलाने की नौबत नहीं आती. उन्हें किसी भी सरकारी व्यवस्था पर भरोसा नहीं है. अगर बालू का उठाव न होता, तो आज किसान अपने खेतों में सिंचाई करके खुशहाल रहते.

-अब्दुल कैय्यूम, सचिव

पहले किसानों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचता था, लेकिन जब से बालू का बेरोकटोक उठाव हो रहा है, किसानों के खेत ऊपर और नदी गहरी हो गयी है. इस स्थिति ने सभी किसानों को चिंता में डाल दिया है.

-विमल दुबे, किसान

क्षेत्र के किसानों ने सभी जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को देख लिया है. अब तक बालू के उठाव के अलावा किसानों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी गयी है. किसानों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है.

-विदेंश्वरी यादव, किसानB

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