कुड़मी समाज के लोगों ने काली पट्टी बांध कर जताया विरोध

समाज के लोगों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर सरकार के प्रति नाराजगी जतायी. कहा कि 6 सितंबर 1950 का दिन उनके इतिहास का काला अध्याय है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 6, 2025 6:48 PM

अधिकार दो, न्याय दो के लगाये नारे, सरकार से की एसटी में शामिल करने की मांग प्रतिनिधि, महागामा कुड़मी समाज के लोगों ने बलिया के कुड़मीकित्ता में एकजुट होकर अपनी पुरानी मांगों को लेकर विरोध दर्ज कराया. इस दौरान समाज के लोगों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर सरकार के प्रति नाराजगी जतायी. कहा कि 6 सितंबर 1950 का दिन उनके इतिहास का काला अध्याय है. कार्तिक महतो ने बताया कि 6 सितंबर 1950 को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची से बाहर कर दिया गया था, तब से लेकर अब तक कुड़मी समाज फैसले को गलत ठहराते हुए लगातार पहचान बहाल करने की मांग करता रहा है. विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि यह निर्णय न केवल कुड़मी समाज के अधिकारों का हनन है. बल्कि उनकी सामाजिक और शैक्षणिक प्रगति में भी बाधा बना है. कुड़मी समाज के सुरेंद्र महतो, रंजना महतो, दुबराज महतो, रवि शंकर महतो, प्रिया कुमारी, पायल महतो, निशु कुमारी, अन्नू राज महतो, मीनू राज महतो ने कहा कि दशकों से चली आ रही उपेक्षा के कारण समाज के युवा शिक्षा, नौकरी और राजनीति के क्षेत्र में पिछड़ गये हैं, उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि कुड़मी समाज को पुनः एसटी की सूची में शामिल किया जाये. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे. मौके पर महिलाएं, युवक-युवतियां और वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे. सभी ने एक स्वर में न्याय दो, अधिकार दो के नारे लगाते हुए कहा कि उनकी मांग संवैधानिक अधिकारों और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, समाज के नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन अब पूरे राज्य और देश में फैलाया जायेगा, ताकि कुड़मी समाज की आवाज हर स्तर तक पहुंच सके.

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