हिंदी हमारी वतन की शान : डॉ. राधेश्याम चौधरी

अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार ने दिया मातृभाषा को सम्मान देने का संदेश

By SANJEET KUMAR | September 14, 2025 11:31 PM

अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार डॉ. राधेश्याम चौधरी ने हिंदी दिवस के अवसर पर कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीयता की आत्मा है. यह हमारे वतन की शान और अभिमान है. हिंदी भाषा हमें न केवल संस्कृति से जोड़ती है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है. उन्होंने कहा कि हिंदी आज विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है. भारत के अतिरिक्त कई देशों में भी यह बोली और समझी जाती है, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय पहचान की भाषा बनती जा रही है. डॉ. चौधरी ने सुझाव दिया कि भारत के सभी सरकारी कार्यालयों में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में लागू किया जाना चाहिए, ताकि इसका अधिकाधिक प्रयोग हो और यह कार्य संस्कृति में पूर्ण रूप से स्थापित हो सके. उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी अभिव्यक्ति की शक्ति है, जो मातृभूमि के प्रति हमारे समर्पण और स्वाभिमान का प्रतीक बनकर उभरती है. हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा को केवल बोलना ही नहीं, बल्कि सम्मान देना भी जरूरी है. डॉ. चौधरी के प्रेरणादायक विचारों ने लोगों को हिंदी के गौरव को बनाए रखने और उसके प्रचार-प्रसार में सहभागी बनने के लिए प्रेरित किया.

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