बोआरीजोर राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी बंदी के आह्वान पर राजमहल कोल परियोजना में आंशिक बंदी रही. संयुक्त ट्रेड यूनियन के बैनर तले सुबह छह बजे से दो पालियों में बंदी की गयी. यूनियन नेताओं ने जीरो प्वाइंट, कोयला लोडिंग पॉइंट, सीएचपी कार्यालय, ओसीपी कार्यालय एवं एरिया कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. पूर्व विधायक राजेश रंजन, रामजी साह, राधेश्याम चौधरी, जयराम यादव, प्रमोद हेंब्रम, मिस्त्री मरांडी, अहमद अंसारी आदि ने सरकार पर श्रमिक विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये चार श्रम कोड्स मजदूरों के अधिकार छीनने का षड्यंत्र हैं. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि अगर ठेका मजदूरों को एचपीसी दर से मजदूरी नहीं दी गयी तो यूनियन आंदोलन को और तेज करेगी. एटक, एचएमएस, सीटू, जनता मजदूर संघ, झारखंड मजदूर कल्याण संघ जैसे संगठनों ने बंदी में भाग लिया. प्रदर्शन स्थल पर गुरु प्रसाद हाजरा, प्रदीप पंडित, अली हुसैन, राम सुंदर महतो, सीताराम महतो, अर्जुन महतो, महेंद्र हेंब्रम, राकेश कुमार सहित कई लोग उपस्थित रहे. प्रबंधन के हस्तक्षेप के बाद करीब चार घंटे बाद बंदी समाप्त हुई. परियोजना महाप्रबंधक (प्रभारी) एएन नायक ने बताया कि हड़ताल का आंशिक असर पड़ा है और लगभग 5,000 टन कोयला डिस्पैच प्रभावित हुआ, लेकिन जल्द ही काम सामान्य हो गया. इसके कारण फरक्का एवं कहलगांव एनटीपीसी को निर्धारित समय पर कोयला आपूर्ति नहीं हो सकी. सुबह 10 बजे के बाद कोयला खनन और डिस्पैच का कार्य दोबारा सुचारू रूप से आरंभ हुआ. हड़ताल समाप्त कराने के लिए परियोजना के पदाधिकारी चरणजीत सिंह, प्रणव कुमार एवं थाना प्रभारी रोशन कुमार मौके पर पहुंचे और यूनियन नेताओं से संवाद कर स्थिति को नियंत्रित किया. हालांकि हड़ताल समाप्त होने के बाद आपूर्ति सामान्य हो गयी. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रबंधन को कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है. थाना प्रभारी ने भी बताया कि हड़ताल पूरी तरह शांतिपूर्ण रही और सभी पक्षों के सहयोग से खनन एवं डिस्पैच कार्य समय पर फिर से चालू हो सका.
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