कुड़मालि के अनमोल रत्न थे लक्ष्मीकांत : दिनेश

कुड़मालि के पुरोधा सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर की मनायी गयी जयंती

By SANJEET KUMAR | April 23, 2025 11:37 PM

पथरगामा प्रखंड के पीपरा पंचायत अंतर्गत होपनाटोला गांव में कुड़मालि के पुरोधा सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर की जयंती मनायी गयी. इस दौरान टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो की अगुआई में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने कहा कि सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर कुड़मालि के अनमोल रत्न थे. लक्ष्मीकांत मुतरुआर के अथक प्रयास से कुड़मालि भाषा साहित्य का विकास संभव हो सका है. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन कुड़मालि भाषा साहित्य और संस्कृति के संरक्षण प्रचार और संवर्धन में समर्पित कर दिया. उनका जन्म 22 अप्रैल 1939 को बोकारो के चास प्रखंड के भंड़रो गांव (टोला डुंगरीटांड़) में एक किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम राखाल महतो और माता का नाम बुचि माहताइन था. पांच भाई-बहनों में वे सबसे बड़े थे. बचपन से ही साहसी, परिश्रमी व विद्या-प्रेमी थे.

शिक्षण प्रशिक्षण के बाद कई विद्यालयों में रहे प्रधानाध्यापक

1956 में मैट्रिक पास करने के बाद पिंजराजोड़ा के शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त कर 1959 में शिक्षक बने. बाद के दिनों में उन्होंने स्नातक, स्नातकोत्तर और वकालत की उपाधियां हासिल की. वे कई विद्यालयों में प्रधानाध्यापक रहे और बोकारो जिला संघ के अध्यक्ष भी रहे. 1980 में रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय भाषाओं के लिए पीजी विभाग की स्थापना के लिए बनी समिति में कुड़मालि प्रतिनिधि बनाए गये.

दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का किया था विरोध

उन्होंने दहेज प्रथा, तिलक बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया. उन्होंने कुड़मालि की कई किताबें लिखी. उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक जनजाति परिचित को सराहा गया है. आकाशवाणी से भी कई कविताएं व नाटक प्रसारित हुए. 26 सितंबर 2012 को उनका निधन हो गया. कहा कि उनके जन्मदिन को कुड़मालि दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, दिव्यांश कुमार महतो, कलावती महतो, सोनी महतो, प्रिया महतो, दीप्ति श्री महतो, बिच्छो कुमारी, दीपिका कुमारी आदि मौजूद थे.

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