Giridih News : असफलता के बाद भी सफलता की असीम संभावनाएं हैं : नमन
छात्र के आत्महत्या पर गिरिडीह डीसी उपायुक्त ने कहा, काउंसेलिंग की हो व्यवस्था
Giridih News : असफलता के बाद भी सफलता की असीम संभावनाएं हैं. बच्चों को फेल होने पर निराश नहीं होना चाहिए. यह कहना है गिरिडीह के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा का. उन्होंने कहा कि कई लोग मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में फेल भी होते हैं, लेकिन बाद में मेहनत के करने के बाद खुद को बेहतरीन साबित करते हैं. कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें कई लोग बोर्ड की परीक्षा में असफल हुए हैं, लेकिन आईएएस समेत कई प्रतियोगिता परीक्षा में बेहतर रिजल्ट लाकर खुद को बेहतर भी साबित किये हैं. बावजूद अभिभावकों को ऐसे वक्त पर अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
बच्चों के पसंद का ख्याल रखें अभिभावक
बच्चों के पसंद का ख्याल रखते हुए अभिभावकों को उचित मार्गदर्शन करना चाहिए. दोनों ही परिस्थितियों को देखें तो कई बार ऐसी स्थितियां बनी है कि जो टॉपर होते हैं, वह सबकुछ एचीव नहीं कर पाते और कई बार फेल करने वाले या कम नंबर पाने वाले बेहतर कर जाते हैं. श्री लकड़ा ने सुझाव दिया है कि सभी संस्थानों को परीक्षा के पूर्व अभिभावकों की उपस्थिति में बच्चों के काउंसलिंग की व्यवस्था करनी चाहिए. स्कॉलर बीएड कॉलेज की प्रिंसिपल शालिनी ख्वाला कहती हैं कि सभी बच्चे परिपक्व नहीं होते हैं. ऐसे में अभिभावकों की भूमिका काफी बढ़ जाती है. अभिभावकों को अपने बच्चों पर बेवजह दबाव बनाने के बजाय सकारात्मक माहौल तैयार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि असफल होने पर आत्महत्या करना एक बहुत ही गंभीर और जटिल मुद्दा है. असफलता से रास्ते बंद नहीं हो जाते. ऐसे वक्त पर समाज को परिचर्चा के माध्यम से सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिए. स्कॉलर डीएलएड की प्रभारी हरदीप कौर कहती है कि बच्चों को परीक्षा के दौरान मानसिक रूप से तैयार किया जाना चाहिए. कहा कि इस दौरान बच्चों को हमदर्दी की जरूरत होती है. बच्चों को गाइडेंस के साथ-साथ काउंसेलिंग करना चाहिए. हर संस्थान में अनिवार्य रूप से गाइडेंस और काउंसेलिंग की व्यवस्था हर परीक्षा के पूर्व करना चाहिए ताकि बच्चे कठिन परिस्थितियों को भी फेस करे.
पीयूष जेईई का कर रहा था तैयारी, कम अंक आने पर की आत्महत्या
शास्त्रीनगर का पीयूष जेईई का तैयारी कर रहा था. पढ़ने में औसत ठीक था. इन दिनों वह किरण पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करने के साथ-साथ इंजीनियरिंग की भी तैयारी कर रहा था. उसने किरण पब्लिक स्कूल से इंटर की परीक्षा दी थी जिसमें उसे 70 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ. इस अंक से वह खुश नहीं था. पीयूष के पिता सुधीर साव कहते हैं कि जेईई में कट ऑफ 75 प्रतिशत रहने की बात पीयूष कहा करता था. यही कारण है कि 70 प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद भी उसने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. श्री साव ने बताया कि बच्चे पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था. हाल के दिनों में वे लोग वैष्णो देवी समेत कई स्थानों से घूमकर वापस लौटे थे और घर का माहौल भी काफी अच्छा था. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा बेटा ऐसा कोई कदम उठायेगा.
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