मायानगरी मुंबई की चचेरी बहनों ने अपनाया वैराग्य, झारखंड के मधुबन में दीक्षा लेकर बनीं संन्यासी

साधु-संतों की दिनचर्या से प्रभावित होकर दर्शी कुमारी और देशना कुमारी ने दीक्षा लेने का निश्चय किया. दोनों के पिता मुंबई में कपड़ा व्यवसायी हैं. दर्शी के पिता का नाम मनीष कुमार है, जबकि देशना के पिता का नाम अमित कुमार है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2023 5:07 PM

एक जहां लोग दुनिया की हर सुख-सुविधा को पा लाने के लिए आतुर हैं, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो सांसारिक मोह-माया छोड़कर संन्यास को अपना रहे हैं. वैराग्य अपना रहे हैं. मायानगरी मुंबई की दो लड़कियों ने झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुबन में जैन मुनि से दीक्षा लेकर वैराग्य को अपना लिया. संन्यासी बन गयीं. सम्मेदशिखर जी मधुबन के तलेटी तीर्थ में उनको दीक्षा दी गयी. आचार्य मुक्तिप्रभ सुरीश्वर जी महाराज के निश्रा में चचेरी बहनों की दीक्षा हुई.

मुंबई के बायखला की रहने वाली हैं दोनों बहनें

बता दें कि सम्मेदशिखर जी स्थित तलेटी तीर्थ में सोमवार को आचार्य मुक्तिप्रभ सुरीश्वर जी महाराज व साधनारत साधु संतों की निश्रा में भव्य दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया. धार्मिक विधियों को पूरा करते हुए मायानगरी मुंबई के बायखला की रहने वाली दर्शी कुमारी और देशना कुमारी ने दीक्षा ली.

दर्शी और देशना के पिता हैं कपड़ा कारोबारी

इन दोनों बहनों की उम्र क्रमश: 19 वर्ष और 15 वर्ष है. साधु-संतों की दिनचर्या से प्रभावित होकर दर्शी कुमारी और देशना कुमारी ने दीक्षा लेने का निश्चय किया. दोनों के पिता मुंबई में कपड़ा व्यवसायी हैं. दर्शी के पिता का नाम मनीष कुमार है, जबकि देशना के पिता का नाम अमित कुमार है.

सांसारिक सुख से दूर रहने का दोनों बहनों ने लिया निर्णय

बताया गया है कि दर्शी कुमारी और देशना कुमारी पिछले तीन साल से साधु-संतों के सान्निध्य में रह रहीं थीं. इसके बाद दोनों चचेरी बहनों ने वैराग्य अपनाने और सांसारिक सुखों से दूर रहने का निर्णय किया. वैराग्य अपनाना दर्शी और देशना की अपनी इच्छा थी. परिवार के लोग उनके फैसले में बाधक नहीं बने.

Also Read: तीर्थस्थल ही रहेगा श्री सम्मेद शिखर, केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश, सीएम हेमंत सोरेन ने भी लिखा था पत्र

तीन साल से साधु-संतों के सान्निध्य में थीं मुमुक्ष दीक्षार्थी

आज दोनों बहनों को दीक्षा दिलायी गयी. दोनों मुमुक्षु दीक्षार्थी तीन साल से साधु-संतों के सान्निध्य में रहकर धर्म-साधना और आराधना में लीन थीं. साधु संतों की प्रेरणा व मुमुक्षुओं की सहमति से दोनों दीक्षार्थी बहनों को सोमवार की सुबह धार्मिक विधि-विधान से साधु दीक्षा प्रदान की गयी.

Next Article

Exit mobile version