अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

मीन की नीलामी और फिर दखल को लेकर हुए विवाद के मामले में व्यवसायी अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी है.

By Prabhat Khabar Print | May 22, 2024 5:49 PM

कार्बन रिसोर्सेस प्रालि द्वारा नीलाम में हासिल जमीन को लेकर विवाद का मामला

गिरिडीह.

जमीन की नीलामी और फिर दखल को लेकर हुए विवाद के मामले में व्यवसायी अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी है. जानकारी के अनुसार अमित सरावगी की कंपनी श्री बीर इस्पात प्राइवेट लिमिटेड ने मंझलाडीह एवं गादी श्रीरामपुर में करीब 54.33 एकड़ जमीन के विरुद्ध भारतीय स्टेट बैंक से लोन लिया था. लोन चुकता नहीं कर पाने के कारण जमीन की नीलामी कर दी गयी. इस जमीन को नीलामी में गिरिडीह की कार्बन रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल की. इस बाबत परिवाद पत्र दायर करने वाले दौलत राम जैन का कहना है कि लोन चुकता नहीं करने के कारण खाता एनपीए हो गया, जिसके बाद बैंक ने इस मामले को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधीकरण में भेज दिया और वहां से मुझे लिक्विडेटर बहाल किया गया. इसके बाद नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गयी और कार्बन रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड ने 8 अप्रैल, 2023 को 13 करोड़ 58 लाख रुपये में इस जमीन को खरीद लिया. उन्होंने बताया कि जब नीलाम में जमीन लेने वाली कंपनी को 19 मई 2023 को दखल दिलाने के लिए पहुंचे तो वहां अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी ने ना सिर्फ कागज छीन लिया, बल्कि उसे टुकड़े-टुकड़े कर फेंक दिया. इतना ही नहीं, उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया और सरकारी कामकाज में बाधा डालने की कोशिश की गयी. इस मामले में परिवाद पत्र दाखिल होने के बाद प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अदालत ने मुफस्सिल थाना भेज दिया. यह मामला भादवि 420, 467, 468 और 353 के तहत दर्ज किया गया और पुलिस ने पूरे मामले की जांच-पड़ताल करने के बाद अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी. इस बीच व्यवसायी अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी ने अग्रिम जमानत की अर्जी लगायी. इस पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मीकांत की अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज कर दी. अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता महिप मयंक और सोहम सरकार ने बताया कि इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अमित सरावगी और तुलसी गोस्वामी की अर्जी को खारिज कर दी है. वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता विशाल आनंद ने बताया कि घटना के दिन आरोपी घटनास्थल पर नहीं थे और घटना के लगभग आठ माह के बाद शिकायत दर्ज करायी गयी है. उन्होंने कहा कि वह अदालत के इस आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती देंगे.

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