झारखंड में आदिम जनजाति परिवार के दो बच्चे आग में जिंदा जले, एक घायल, देवदूत बनकर पहुंचे सीआरपीएफ के जवान

Jharkhand News: बहेराटोली गांव में शनिवार की सुबह दिल दहला देनी वाली आगजनी की घटना में वहां पिकेट में तैनात सीआरपीएफ 172 अल्फा बटालियन के जवान देवदूत बनकर पहुंचे. जिनके प्रयास से समय रहते आग पर काबू पाया जा सका.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2022 11:43 AM

Jharkhand News: झारखंड के गढ़वा जिले के भंडरिया थाना क्षेत्र के बड़गड़ ओपी अंतर्गत टेहरी पंचायत के बहेराटोली गांव में खेलने के दौरान घर में लगी आग से झुलस कर आदिम जनजाति परिवार के दो मासूम बच्चों की मौत हो गई. इसमें एक गंभीर रूप से घायल हो गया. मृतकों में राजनाथ कोरवा की पुत्री रूबी कुमारी (चार वर्ष) एवं बिगन कोरवा का पुत्र चंद्रकेश कोरवा (चार वर्ष) के नाम शामिल हैं, जबकि घायल बच्चा बिगन कोरवा का पुत्र चंदन कोरवा (छह वर्ष) है. घटना की सूचना मिलते ही बीडीओ मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक मदद की. इस दौरान देवदूत बनकर पहुंचे सीआरपीएफ के जवानों ने कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया.

गांव में पसरा मातम

इस हादसे की सूचना मिलने पर बीडीओ विपिन कुमार भारती ने घटनास्थल पर पहुंच कर घटना की जानकारी ली. उन्होंने प्रभावित परिवारों को तत्काल सहयोग के रूप में पांच-पांच हजार रुपये नकद तथा पचास-पचास किलो चावल प्रदान किया, जबकि बड़गड़ ओपी प्रभारी कुंदन कुमार सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर मृत बच्चों के शव को अपने कब्जे में लेते हुए पंचनामा कराकर पोस्टमार्टम के लिए गढ़वा भेजा. इस घटना के बाद बहेराटोला गांव में मातम पसर गया है.

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सरसों में आग लगने से हुआ हादसा

घटना के संबंध में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शनिवार की सुबह लगभग 10:30 बजे राजनाथ कोरवा और बिगन कोरवा के तीनों बच्चे अपने घर के बगल में टिगड़ा कोरवा के मकान के बरामदे में खेल रहे थे. इसी क्रम में बरामदे में काटकर रखी गयी सरसों फसल के बोझे में किसी तरह आग लग गयी. अचानक उठी आग की लपट में तीनों बच्चे घिर गये. इसमें बिगन कोरवा का पुत्र चंदन कोरवा झुलसने के बाद किसी तरह निकल गया और दौड़ कर गांव से सटे नाले की तरफ चला गया, जबकि बाकी आग की लपटों में घिरे दो बच्चे रूबी कुमारी व चंद्रकेश कोरवा निकल नहीं पाये. इससे झुलस कर घटनास्थल पर ही दोनों की मौत हो गई.

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महुआ चुनने जंगल गये थे परिजन

बताया जा रहा है कि घटना के वक्त घर में बच्चों के अलावा कोई अन्य सदस्य नहीं थे. बच्चों के परिजन उन्हें घर में ही छोड़कर अहले सुबह ही महुआ चुनने गांव से लगभग पांच-छह किलोमीटर दूर जंगल में गए हुए थे. घटना की सूचना गांव के लोगों द्वारा उन्हें जंगल में ही दी गई. जिसके बाद परिजन घटनास्थल पर पहुंचे. बच्चों की दर्दनाक मौत देखते ही वे चीख मच गयी. परिजनों के चीत्कार से पूरा गांव का माहौल गमगीन हो गया. आग लगने से टिगड़ा कोरवा का घर में आवास बनाने के लिए रखे सीमेंट, अनाज, कपड़ा सहित अन्य सामान पूरी तरह जल गया. इस आग से मकान को भी काफी नुकसान पहुंचा है.

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सीआरपीएफ के जवानों की मदद से आग पर काबू

बहेराटोली गांव में शनिवार की सुबह दिल दहला देनी वाली आगजनी की घटना में वहां पिकेट में तैनात सीआरपीएफ 172 अल्फा बटालियन के जवान देवदूत बनकर पहुंचे. जिनके प्रयास से समय रहते आग पर काबू पाया जा सका. प्रत्यक्षदर्शी सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट नीरज कुमार, इंस्पेक्टर फकीरा सिंह, हवलदार मुरलीधर यादव, रामनिवास आदि ने बताया कि कैंप के अंदर पोस्ट पर तैनात एक जवान की नजर मकान से उठ रही आग के लपटों पर पड़ी. इसकी तत्काल सूचना वायरलेस के माध्यम से उसने अपने वरीय पदाधिकारी को दी. जानकारी मिलते ही कैंप में तैनात दर्जनों जवान आग बुझाने के लिए टूट पड़े, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि वहां बच्चे भी आग से घिरे हैं. जवानों के पहुंचने तक आग विकराल रूप धारण कर चुका था. काफी मशक्कत के बाद जवानों ने आग पर काबू पाया. पूरी तरह आग बुझाने के बाद जब बरामदे के अंदर देखा गया तो वहां दो बच्चों का पूरी तरह झुलसा हुआ क्षत-विक्षत शव पड़ा हुआ था. जिसकी सूचना सीआरपीएफ के जवानों द्वारा भंडरिया थाने को दी गई. आग से झुलसा तीसरा बच्चा चंदन कोरवा जो गंभीर रूप से घायल था, सीआरपीएफ के जवानों ने उसे कैंप में प्राथमिक उपचार कर बेहतर इलाज के लिए अपने एम्बुलेंस वाहन से भंडरिया अस्पताल भेजा.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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