झामुमो ने हूल दिवस पर वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा हूल दिवस पर पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर के कल्याणपुर आवास पर कार्यक्रम आयोजित किया गया
प्रतिनिधि, गढ़वा झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा हूल दिवस पर पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर के कल्याणपुर आवास पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने वीर शहीद सिदो-कान्हू समेत संताल विद्रोह के अन्य वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि संथाल आदिवासी समुदाय ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया. बताया गया कि संथाल आदिवासी मूल रूप से 1790 से 1810 के बीच संथाल परगना क्षेत्र में बसे, जिसे अंग्रेजों ने दामिन-ए-कोह नाम दिया था. इसी धरती पर सिदो-कान्हू मुर्मू का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने तीर-धनुष के बल पर अंग्रेजों की अत्याचारी सत्ता को हिला कर रख दिया. सिदो मुर्मू का जन्म 1815 में और कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 में साहेबगंज जिले के बरहेट प्रखंड स्थित भोगनाडीह गांव में हुआ था. उनके साथ उनके दो और भाई चांद मुर्मू (जन्म 1825) और भैरव मुर्मू (जन्म 1835) भी संथाल विद्रोह में सक्रिय रहे. उनकी बहनों फुलो मुर्मू और झानो मुर्मू ने भी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. सभी छह भाई-बहनों के पिता चुन्नी मांझी थे. वक्ताओं ने कहा कि सिदो-कान्हू और उनके साथियों ने ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों और जमींदारी शोषण के खिलाफ हथियार उठाये और तीर-धनुष से अंग्रेजों को कई बार मुठभेड़ों में पराजित किया. अगस्त 1855 में सिदो मुर्मू को पंचकठिया में बरगद के पेड़ पर फांसी दी गयी, जबकि कान्हू मुर्मू को उनके गांव भोगनाडीह में फांसी दी गयी. आज भी पंचकठिया का बरगद का पेड़ शहीद स्थल के रूप में वहां मौजूद है, जो उनके बलिदान की अमर गाथा सुनाता है. इस अवसर पर जिला सचिव शरीफ अंसारी, तनवीर आलम खान, मनोज ठाकुर, चंदन जायसवाल, फुजैल अहमद, संजय सिंह उर्फ छोटू, रामचंद्र राम, सुनील गौतम, सलीम जाफर, चंदन पासवान, इफ्तेखार अंसारी, सरफराज आलम, अविनाश दुबे (टुनटुन), सुजीत चंद्रवंशी, अंकित पाण्डेय, बडू गुप्ता, आनंद पांडेय सहित बड़ी संख्या में झामुमो कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उपस्थित थे.
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