लॉकडाउन में मजदूरी करने रमकंडा से बेंगलुरु गये छात्र की बिगड़ी तबीयत, रिम्स में कोरोना से हुई मौत

Jharkhand news, Garhwa news : लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड मुख्यालय के फगमरी टोले से मजदूरी करने बेंगलुरु गये 18 वर्षीय मैट्रिक का एक छात्र की मौत रांची के रिम्स में कोरोना से हो गयी. मौत के बाद रिम्स प्रशासन द्वारा परिजनों को उसका शव भी नहीं दिया गया. कोरोना से मौत के साथ ही शव नहीं मिलने की हृदयविदारक घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया. घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य के मौत के बाद पूरे परिजन शोकाकुल हैं. वहीं टोले का माहौल गमगीन है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2020 6:55 PM

Jharkhand news, Garhwa news : गढ़वा : लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड मुख्यालय के फगमरी टोले से मजदूरी करने बेंगलुरु गये 18 वर्षीय मैट्रिक का एक छात्र की मौत रांची के रिम्स में कोरोना से हो गयी. मौत के बाद रिम्स प्रशासन द्वारा परिजनों को उसका शव भी नहीं दिया गया. कोरोना से मौत के साथ ही शव नहीं मिलने की हृदयविदारक घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया. घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य के मौत के बाद पूरे परिजन शोकाकुल हैं. वहीं टोले का माहौल गमगीन है.

जानकारी के अनुसार, पिछले महीने बेंगलुरु की एक कंपनी ने बस भेजकर इस टोले से दर्जनों मजदूर को काम के लिए ले गया था. इन्हीं मजदूरों में फगमरी गांव का उक्त मृतक मजदूर भी गया था. कंपनी के काम करने के कुछ दिनों बाद उसकी तबीयत अचानक खराब हो गयी. सूचना मिलने के बाद परिजनों ने जमीन बेच कर पैसे का जुगाड़ कर हवाई जहाज से बेंगलुरु पहुंच कर उसे अस्पताल में भर्ती कराया.

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करीब 2.5 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद स्थिति में सुधार नही होने पर पैसे के अभाव में परिजन उसे गांव लेकर पहुंचे. लेकिन, घर पहुंचते ही उसकी तबीयत अधिक खराब होने पर कर्ज लेकर तत्काल रांची के रिम्स में भर्ती कराया. मृतक के पिता ने बताया कि रिम्स में सप्ताह भर इलाज के दौरान करीब 50 हजार रुपये खर्च के बावजूद रविवार को डॉक्टरों ने कोरोना से मौत की पुष्टि कर दी. वहीं, रिम्स प्रशासन ने शव देने से इनकार कर दिया.

काफी प्रयासों के बावजूद शव नहीं मिलने पर मृतक मजदूर के परिजनों को बैरंग वापस लौटना पड़ा. मृतक के परिजनों ने बताया कि गांव में मजदूरी कर उसे पढ़ाया था. उसने इसी वर्ष फरवरी महीने में मैट्रिक परीक्षा दिया था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लॉकडाउन में रोजगार नहीं मिलने पर घर की दयनीय स्थिति हो गयी थी. इस कारण परिवार के भरण- पोषण के उद्देश्य से पिछले महीने गांव के अन्य मजदूरो के साथ वह भी कंपनी में काम करने गया था.

Posted By : Samir Ranjan.

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