East Singhbhum News : पटमदा और बोड़ाम के नदी-नाले व तालाब सूखे, किसान चिंतित

पानी के अभाव में कृषि छोड़ मजदूरी की खोज में दूसरे राज्य जाने को विवश ग्रामीण

By MANJEET KUMAR PANDEY | March 22, 2025 12:45 AM

पटमदा.गर्मी के दस्तक देते ही बारिश के पानी से खेती पर निर्भर रहने वाले पटमदा व बोड़ाम के दर्जनभर पंचायत के सैकड़ों किसान चिंतित हैं. परेशानी इसलिए और बढ़ने लगी है, क्योंकि नदी, नाले, तालाब व चेकडैम के सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. क्षेत्र के किसान पानी के अभाव में कृषि को छोड़ अब फिर से वैकल्पिक व्यवस्था मजदूरी को लेकर जमशेदपुर व पश्चिम बंगाल आने जाने की तैयारी में हैं.

खेती नहीं होने पर महंगी हो जाती हैं सब्जियां

जानकारी के अनुसार, कोल्हान में कृषि प्रधान क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध पटमदा के किसान प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह से लेकर मार्च माह तक बंपर खेती करते हैं. इन किसानों की मेहनत व लगन से उपजाये टमाटर, गोभी, बैंगन, मूली सहित साग-सब्जियां सस्ते दामों में बाजारों में बिकते हैं. जिसका सीधा फायदा लोगों को मिलता है. जब ये किसान सिंचाई सुविधा के अभाव में खेती करना बंद कर देते हैं, तो ₹5 किलो बिकने वाले टमाटर लोगों को ₹50 किलो खरीदना पड़ता है. दूसरे राज्यों से आने वाली अन्य साग-सब्जियों के भाव भी बढ़ जाते हैं.

पटमदा की नदी व बोड़ाम का सातनाला गर्मी से सूखे

पटमदा की प्रसिद्ध नदी गोबरघुसी के रानी झरना से निकलने वाले टोटकों नदी के सूख जाने से गोबरघुसी, लावा, जोड़सा व लछीपुर पंचायत के सैकड़ों किसानों की इन दिनों परेशानी बढ़ गयी है. इसके अलावा पटमदा के कितापाट नाला व नोवाडीह नाला भी सूख चुके हैं. जबकि बोड़ाम के दलमा से निकलने वाला सातनाला, बोटा नाला, भुइयांसीनान नाला व कुइयानी नाला के अलावा ज्यादातर पहाड़ी स्रोत, तालाब, कुआं सूख चुके हैं.

पटमदा प्रखंड में 14423 खरीफ व 380 हेक्टेयर में होती है रबी फसल

पटमदा प्रखंड के कृषि पदाधिकारी देव कुमार ने कहा कि पूरे पटमदा प्रखंड में 14423 हेक्टेयर में खरीफ व 380 हेक्टेयर में रबी की खेती होती है. नवंबर के बाद बेमौसम के दौरान गरमा खेती की समुचित सिंचाई व्यवस्था नहीं होने के कारण गरमा धान व अन्य सब्जियों की उपज नहीं के बराबर होती है. कुछ-कुछ पंचायतों में सिंचाई सुविधा के कारण ही गिने-चुने प्रगतिशील किसान खेती कर पाते हैं.

सरकार पहाड़ी नदी-नालों का जीर्णोद्धार करे : किसान

इधर, गोबरघुसी के लड़ाईडुंगरी गांव निवासी सह प्रगतिशील किसान बुद्धू टुडू ने कहा कि वे प्रत्येक वर्ष 3 एकड़ जमीन में टमाटर, गोभी, बैंगन, लौकी व मूली की खेती करते हैं और अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं. पर उनके लिए चिंता की बात है कि सिंचाई व्यवस्था के अभाव में सालों भर खेती नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि प्राचीन नदी नाला का जीर्णोद्धार पर सरकार को ध्यान देने व किसानों के खेत तक सिंचाई व्यवस्था कैसे पहुंचे, उस पर ध्यान देने की जरूरत है. नदी-नालों में बनाये दर्जनों चेकडैम की मरम्मत की जरूरत है.

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