पहला दीक्षांत समारोह 16 साल बाद 2008 में किया था आयोजित

संताल परगना में उच्च शिक्षा की धुरी एसकेएमयू की वर्ष 1992 में हुई थी स्थापना

By RAKESH KUMAR | November 17, 2025 11:15 PM

दुमका नगर. संताल परगना की उच्च शिक्षा की धुरी माने जानेवाले सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1992 में हुई थी. यह विश्वविद्यालय संताल परगना क्षेत्र का एकमात्र राज्य विश्वविद्यालय है. इसके अंतर्गत दुमका, गोड्डा, पाकुड़, देवघर, साहिबगंज और जामताड़ा समेत उत्तरी झारखंड के अनेक महाविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान संबद्ध हैं. शिक्षा के प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद विश्वविद्यालय में वार्षिक रूप से आयोजित होने वाला दीक्षांत समारोह इससे पहले अब तक केवल आठ बार ही संपन्न हो पाया है. इनमें एक समारोह कुलपति प्रो विक्टर टीग्गा, तीन प्रो बशीर अहमद खान, एक प्रो कमर अहसन, दो प्रो सोनाझरिया मिंज और एक प्रो बिमल प्रसाद सिंह के कार्यकाल में आयोजित हुए. पहला दीक्षांत समारोह स्थापना के 16 वर्ष बाद मार्च 2008 में आयोजित हुआ. उस समय कुलपति प्रो विक्टर तिग्गा, कुलसचिव डॉ रघुनंदन राम तथा परीक्षा नियंत्रक डॉ सीके सिंह थे. समारोह के मुख्य अतिथि तत्कालीन राज्यपाल सिब्ते रजी ने विद्यार्थियों को पदक प्रदान कर सम्मानित किया था. यह समारोह विश्वविद्यालय के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ. दूसरा दीक्षांत समारोह- 2011 में आयोजित दीक्षांत समारोह में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मुख्य अतिथि थे. राज्यपाल एमओएच फ़ारुख ने अध्यक्षता की. तीसरा दीक्षांत समारोह 2012 में आयोजित हुआ, जिसमें राज्यपाल सैयद अहमद ने शिरकत की थी. जबकि चौथे दीक्षांत समारोह 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने स्वयं विद्यार्थियों को पदक प्रदान किया था. समारोह विश्वविद्यालय के इतिहास के सबसे भव्य आयोजनों में से एक माना जाता है. पांचवे दीक्षांत समारोह में तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को पदक प्रदान किया था. जबकि छठा और सातवां दीक्षांत समारोह कोरोना महामारी की कठिन परिस्थितियों के बावजूद कुलपति प्रो सोनाझरिया मिंज ने सफलतापूर्वक संपन्न कराया था. समारोह में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने विद्यार्थियों को पदक प्रदान किया था. जबकि आठवां दीक्षांत समारोह, जो सितंबर 2024 में कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह के नेतृत्व में आयोजित हुआ था, उसमें राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने ही मेडल व उपाधि प्रदान की थी.

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