पेंशनर दिवस पर एसबीआई ने किया पेंशनरों को सम्मानित
झारखंड राज्य पेंशनर समाज की ओर से राष्ट्रीय पेंशनर दिवस मनाया गया. राष्ट्रीय पेंशनर दिवस का संबंध सर्वोच्च न्यायालय में डीएस नाकरा के केस से संबंध रखता है.
दुमका नगर. झारखंड राज्य पेंशनर समाज दुमका जिला के सभागार में बुधवार को मुख्य अतिथि भारतीय स्टेट बैंक दुमका के क्षेत्रीय प्रबंधक पंकज कुमार, एसबीआई, मुख्य शाखा दुमका के मुख्य प्रबंधक बीरेंद्र कुमार एवं इंडियन बैंक दुमका के अग्रणी प्रबंधक अजीत कुमार और आशुतोष कुमार, अध्यक्ष लक्ष्मीकांत ठाकुर, सचिव तारणि प्रसाद कामत द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इस मौके पर अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और पुष्प माला देकर पेंशनर समाज के पदाधिकारियों ने किया. श्री कामत ने स्वागत भाषण में कहा कि राष्ट्रीय पेंशनर दिवस का संबंध सर्वोच्च न्यायालय में डीएस नाकरा के केस से संबंध रखता है. ज्ञातव्य है कि 17 दिसंबर के ही दिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पेंशन मुहैया कराया गया है, जिसके कारण इस तिथि पूरे राष्ट्र में राष्ट्रीय पेंशनर दिवस के रूप में मनाया जाता है, किंतु वर्तमान सरकार में उदासीनता नजर आ रही है. इसके कारण इस महत्वपूर्ण दिवस को मांग दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है. वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों में तिथि के आधार पर विभेद करने वाले अंश को हटाने की मांग की. आठवें वेतन आयोग से पूर्व के सभी वेतन आयोगों के गठन के समय हमेशा से कर्मचारियों एवं पेंशनरों को साथ-साथ रखा जाता रहा है. भारत की संसद में भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा इस आशय पर बयान स्पष्ट रूप से दिया गया था कि प्रस्तावित आठवें वेतन आयोग में कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स का भी ध्यान रखा जाएगा, किंतु आठवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन को देखने से स्पष्ट हो गया है कि यह विधेयक पेंशनरों को हानि पहुंचाने के लिए ही लाया गया है. इसलिए पेंशनर समाज केंद्र सरकार से मांग करता है कि इसे अविलंब वापस लिया जाए. केंद्रीय आठवें वेतन आयोग के गठन के बारे में जारी नोटिफिकेशन के टर्म ऑफ रेफरेंशेस में पेंशन पुनरीक्षण एवं अन्य पेंशनरी लाभों को सम्मिलित किया जाए तथा पेंशन को गैर अंशदायी और गैर वित्तपोषित बताए जाने वाले क्लोज संख्या एफ-3 को हटाया जाए. उच्चतम न्यायालय में डीएस नाकरा की याचिका में पूर्ण पीठ ने 17 दिसंबर 1982 को निर्णय दिया था कि पेंशनर्स में तिथि के आधार पर कोई भेद नहीं किया जा सकता है. क्योंकि पेंशन सरकार द्वारा दी गयी कोई कृपा दान या अनुग्रह नहीं है, बल्कि कर्मचारी एवं शिक्षकों द्वारा की गयी लंबी सेवाओं का प्रतिफल है और यह सेवाकाल का लंबित वेतन है, जो पेंशन के रूप में दिया जाता है. इसपर उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि तिथि के आधार पर विभेद करना संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है. सेवानिवृत्त कर्मचारी शिक्षक एवं पेंशनरों के साथ यह बड़ा अन्याय है, जो सहन नहीं किया जाएगा. इसके कारण पेंशनर्स कर्मचारी एवं शिक्षक समाज बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा. इस विषय पर केंद्र सरकार को पेंशनर्स के भविष्य की समस्याओं को देखते हुए सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की. मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक पेंशनरों को हर सुविधा देने के लिए हमेशा तत्पर है. इस अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी कुल 15 वरिष्ठ पेंशनरों (80 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष एवं 75 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं) को मुख्य अतिथि द्वारा अंगवस्त्र, बुके इत्यादि देकर सम्मानित किया गया. ज्ञातव्य हो कि यह सम्मान समारोह हर वर्ष की तरह भारतीय स्टेट बैंक, मुख्य शाखा दुमका के सौजन्य से आयोजित होता रहा है. वहीं मीडिया प्रभारी कुंदन झा ने बताया कि सम्मानित होने वालों में लक्ष्मीकांत ठाकुर, उर्सिला मरांडी, प्रिंसकला टुडू, प्रमिला हेंब्रम, शिलवंती सोरेन, मारिया टेरेसा हेंब्रम, राम गोपाल साह, अजय कुमार घोष, देवेंद्र मंडल, पूरन देशवाल, प्रसादी मंडल, अनंत लाल पंजियारा , श्याम नारायण राउत, इंद्रलाल चौधरी बासुदेव मंडल थे. मौके पर अन्य कई वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए. मंच संचालन का कार्य कोषाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र ने किया. झारखंड राज्य पेंशनर समाज दुमका जिला के सभागार में बुधवार को मुख्य अतिथि भारतीय स्टेट बैंक दुमका के क्षेत्रीय प्रबंधक पंकज कुमार, एसबीआई, मुख्य शाखा दुमका के मुख्य प्रबंधक बीरेंद्र कुमार एवं इंडियन बैंक दुमका के अग्रणी प्रबंधक अजीत कुमार और आशुतोष कुमार, अध्यक्ष लक्ष्मीकांत ठाकुर, सचिव तारणि प्रसाद कामत द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इस मौके पर अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और पुष्प माला देकर पेंशनर समाज के पदाधिकारियों ने किया. श्री कामत ने स्वागत भाषण में कहा कि राष्ट्रीय पेंशनर दिवस का संबंध सर्वोच्च न्यायालय में डीएस नाकरा के केस से संबंध रखता है. ज्ञातव्य है कि 17 दिसंबर के ही दिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पेंशन मुहैया कराया गया है, जिसके कारण इस तिथि पूरे राष्ट्र में राष्ट्रीय पेंशनर दिवस के रूप में मनाया जाता है, किंतु वर्तमान सरकार में उदासीनता नजर आ रही है. इसके कारण इस महत्वपूर्ण दिवस को मांग दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है. वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों में तिथि के आधार पर विभेद करने वाले अंश को हटाने की मांग की. आठवें वेतन आयोग से पूर्व के सभी वेतन आयोगों के गठन के समय हमेशा से कर्मचारियों एवं पेंशनरों को साथ-साथ रखा जाता रहा है. भारत की संसद में भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा इस आशय पर बयान स्पष्ट रूप से दिया गया था कि प्रस्तावित आठवें वेतन आयोग में कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स का भी ध्यान रखा जाएगा, किंतु आठवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन को देखने से स्पष्ट हो गया है कि यह विधेयक पेंशनरों को हानि पहुंचाने के लिए ही लाया गया है. इसलिए पेंशनर समाज केंद्र सरकार से मांग करता है कि इसे अविलंब वापस लिया जाए. केंद्रीय आठवें वेतन आयोग के गठन के बारे में जारी नोटिफिकेशन के टर्म ऑफ रेफरेंशेस में पेंशन पुनरीक्षण एवं अन्य पेंशनरी लाभों को सम्मिलित किया जाए तथा पेंशन को गैर अंशदायी और गैर वित्तपोषित बताए जाने वाले क्लोज संख्या एफ-3 को हटाया जाए. उच्चतम न्यायालय में डीएस नाकरा की याचिका में पूर्ण पीठ ने 17 दिसंबर 1982 को निर्णय दिया था कि पेंशनर्स में तिथि के आधार पर कोई भेद नहीं किया जा सकता है. क्योंकि पेंशन सरकार द्वारा दी गयी कोई कृपा दान या अनुग्रह नहीं है, बल्कि कर्मचारी एवं शिक्षकों द्वारा की गयी लंबी सेवाओं का प्रतिफल है और यह सेवाकाल का लंबित वेतन है, जो पेंशन के रूप में दिया जाता है. इसपर उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि तिथि के आधार पर विभेद करना संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है. सेवानिवृत्त कर्मचारी शिक्षक एवं पेंशनरों के साथ यह बड़ा अन्याय है, जो सहन नहीं किया जाएगा. इसके कारण पेंशनर्स कर्मचारी एवं शिक्षक समाज बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा. इस विषय पर केंद्र सरकार को पेंशनर्स के भविष्य की समस्याओं को देखते हुए सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की. मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक पेंशनरों को हर सुविधा देने के लिए हमेशा तत्पर है. इस अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी कुल 15 वरिष्ठ पेंशनरों (80 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष एवं 75 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं) को मुख्य अतिथि द्वारा अंगवस्त्र, बुके इत्यादि देकर सम्मानित किया गया. ज्ञातव्य हो कि यह सम्मान समारोह हर वर्ष की तरह भारतीय स्टेट बैंक, मुख्य शाखा दुमका के सौजन्य से आयोजित होता रहा है. वहीं मीडिया प्रभारी कुंदन झा ने बताया कि सम्मानित होने वालों में लक्ष्मीकांत ठाकुर, उर्सिला मरांडी, प्रिंसकला टुडू, प्रमिला हेंब्रम, शिलवंती सोरेन, मारिया टेरेसा हेंब्रम, राम गोपाल साह, अजय कुमार घोष, देवेंद्र मंडल, पूरन देशवाल, प्रसादी मंडल, अनंत लाल पंजियारा , श्याम नारायण राउत, इंद्रलाल चौधरी बासुदेव मंडल थे. मौके पर अन्य कई वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए. मंच संचालन का कार्य कोषाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र ने किया.
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