राष्ट्रपति के ऐतिहासिक फैसले से संताल समाज गौरवान्वित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में ओलचिकी लिपि में संताली भाषा में भारत के संविधान का लोकार्पण किए जाने के ऐतिहासिक निर्णय से संताल आदिवासी समाज में अपार हर्ष, गर्व और आत्मसम्मान की लहर दौड़ गयी है.

By ANAND JASWAL | December 28, 2025 6:54 PM

गांव-गांव में उत्सव, मांझी थान में पूजा, मिठाइयों के साथ जताया गया आभार संवाददाता, दुमका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में ओलचिकी लिपि में संताली भाषा में भारत के संविधान का लोकार्पण किए जाने के ऐतिहासिक निर्णय से संताल आदिवासी समाज में अपार हर्ष, गर्व और आत्मसम्मान की लहर दौड़ गयी है. इस उपलब्धि की खुशी में जिले के धतिकबोना, नवाडीह, रामखरी, लेटो, धानकुनिया, रांगा, ठेकाहा, तितरीडंगाल सहित कई गांवों में संताल समाज के लोगों ने पारंपरिक पूजा-स्थल मांझी थान में पूजा-अर्चना की. प्रसाद और मिठाइयां बांटी गईं तथा राष्ट्रपति के प्रति कृतज्ञता प्रकट की गयी. ग्रामीणों ने इसे संताल समाज के लिए ऐतिहासिक, गौरवपूर्ण और पीढ़ियों तक याद रखने वाला क्षण बताया. संताली भाषा में संविधान के प्रकाशन से अब झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में रहने वाले संताल आदिवासी अपनी मातृभाषा और ओलचिकी लिपि में संविधान के अनुच्छेदों, अधिकारों और कर्तव्यों को आसानी से समझ सकेंगे. इससे संवैधानिक जागरुकता और लोकतांत्रिक भागीदारी को नयी मजबूती मिलेगी. गौरतलब है कि संताली को वर्ष 2003 में 92वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था. यह भाषा न केवल भारत बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी संताल समुदाय द्वारा बोली जाती है. इस ऐतिहासिक अवसर को लेकर परसी अरीचली अखाड़ा, सरी धर्म अखाड़ा, दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर अखाड़ा, दिसोम मरांग बुरु संताली अरीचली आर लेक्चर अखाड़ा सहित कई सामाजिक संगठनों ने इसे संताल समाज के सम्मान, पहचान और अधिकारों की जीत बताया.

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