पेसा एक्ट हो लागू, बने ग्राम प्रधान परिषद
प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के पचीस साल बाद भी विकास की दृष्टिकोण से यहां के आदिवासी-मूलवासी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से उपेक्षित हैं.
11 सूत्री मांगों को लेकर ग्राम प्रधान मांझी संगठन ने दिया धरना, कहा संवाददाता, दुमका झारखंड में पंचायती राज अनुसूचित क्षेत्र विस्तार अधिनियम 1996 यानी पेसा एक्ट को अविलंब लागू करने समेत 11 सूत्री मांगों को लेकर ग्राम प्रधान मांझी संगठन के बैनर तले समाहरणालय परिसर में गुरुवार को धरना-प्रदर्शन किया गया. आयुक्त के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा गया. प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के पचीस साल बाद भी विकास की दृष्टिकोण से यहां के आदिवासी-मूलवासी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से उपेक्षित हैं. संताल परगना में प्रधानी व्यवस्था प्रशासनिक व्यवस्था का सशक्त मेरुदंड है. बावजूद सरकार के उदासीन रवैये से इसे भी कमजोर करने की नित्य साजिश रची जा रही है. प्रधान की अध्यक्षता वाली ग्रामसभा के अधिकार को भी शिथिल कर दिया गया है. श्री मंडल ने कहा कि पेसा को लागू नहीं किये जाने से लघु खनिज व वनोत्पाद से जुड़े अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि खनिज-संपदा के बावजूद अधिकांश बेरोजगार अन्यत्र राज्यों में पलायन करने को विवश हैं. उनके अलावा अन्य वक्ताओं ने भी खतियान आधारित स्थानीयता नीति, नियोजन नीति और पेसा एक्ट को लागू करने पर बल दिया. मौके पर भीम सोरेन, श्रीपति मंडल, पांचू राय, डाक्टर अंसारी, जलधर राय, कालू राय, महेंद्र राय, टिका मुर्मू, आशीष मुर्मू, किस्टू हेंब्रम, कुबराज बेसरा, राज मुर्मू, महाशय हांसदाप्रदीप सिंह, संजू सोरेन, मीरू हांसदा छुतार सोरेन, अर्जुन मरांडी, मिस्त्री सोरेन, प्रेम प्रकाश मुर्मू, जोसेफ मुर्मू आदि मौजूद थे. मुख्य मांगे- – पंचायती राज अनुसूचित क्षेत्र विस्तार अधिनियम 1996 को लागू किया जाये. – ग्रामसभा को विकास की समुचित राशि का आवंटन व लघु खनिज-वनोत्पाद से जुड़े अधिकार मिले. – पूर्व की तरफ ऑफलाइन मालगुजारी ग्राम प्रधानों के माध्यम वसूल करायी जाये. – प्रधानी व्यवस्था को सशक्त करने के लिए संताल परगना प्रमंडल में ग्रामप्रधान परिषद का गठन हो. – संताल परगना के हर खेत तक पाइपलाइन से गंगाजल पटवन के लिए उपलब्ध करायी जाये. – प्रधानों एवे लेखाहोड़ों को मिलने वाली सम्मान राशि बढ़े व दस-दस लाख का जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा हो.
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