वन पट्टा प्राप्त भूमि पर जबरन पौधरोपण के दबाव से किसानों में रोष
किसानों का कहना है कि उनके पूर्वज वर्षों से वन भूमि पर खेत बनाकर धान, गेहूं, सरसों, मक्का, बाजरा, कुरथी, अरहर आदि फसलों की खेती करते आ रहे हैं.
काठीकुंड. शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत जामुगड़िया पंचायत के मौजा बिराजपुर के किसानों ने वन विभाग पर जबरन दबाव बनाने का आरोप लगाया है. अपनी समस्या को लेकर सभी किसान बुधवार को स्थानीय विधायक आलोक कुमार सोरेन से काठीकुंड स्थित उनके आवास पर मिले और अपनी परेशानी से अवगत कराया. किसानों का कहना है कि उनके पूर्वज वर्षों से वन भूमि पर खेत बनाकर धान, गेहूं, सरसों, मक्का, बाजरा, कुरथी, अरहर आदि फसलों की खेती करते आ रहे हैं. किसानों के अनुसार उक्त भूमि का ट्रेश नक्शा 03 अप्रैल 2012 को तैयार किया गया था. इसके बाद पत्रांक 515, जिला कार्यालय के माध्यम से दिनांक 22 दिसंबर 2016 को विधिवत वन पट्टा निर्गत किया गया. यह वन पट्टा तत्कालीन विधायक नलिन सोरेन के हाथों प्रखंड परिसर शिकारीपाड़ा में किसानों को प्रदान किया गया था. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वर्तमान में वनपाल शिकारीपाड़ा द्वारा उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है. वनपाल कथित रूप से पट्टा प्राप्त भूमि पर कब्जा कर वहां वृक्षारोपण कराने का दबाव बना रहे हैं. इससे किसान भयभीत हैं और उनकी आजीविका पर संकट उत्पन्न हो गया है. किसानों ने मांग की है कि वनपाल शिकारीपाड़ा को उक्त भूमि पर पौधारोपण से रोका जाए और पट्टा प्राप्त जमीन पर उनका पूर्ण अधिकार सुनिश्चित किया जाए. ग्रामीणों का कहना है कि खेती ही उनकी जीविका का एकमात्र साधन है. यदि उन्हें जमीन पर खेती करने से रोका गया तो उनके सामने जीवनयापन की गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी. किसानों ने इस मामले में विधायक से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगायी है. आवेदन देने वालों में लखन हेंब्रम, जेठा टुडू, उकील हेंब्रम, पुलिस टुडू, टीना मुर्मू, मति मरांडी, ललिता हेंब्रम, शिबू मरांडी, पार्वती मरांडी, चुड़की हेंब्रम सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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