झारखंड से जाम्बिया तक डॉ सोनिका सुमन ने बनायी पहचान
याख्यान ने शोधार्थियों और प्रोफेसरों को गहराई से प्रभावित किया. कार्यक्रम की सफलता के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें अध्यापन का औपचारिक दायित्व सौंपा, साथ ही पीएचडी शोध निर्देशन का अवसर भी प्रदान किया.
कासामा यूनिवर्सिटी में आयोजित फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम में हुईं शामिल संवाददाता, दुमका दुमका की डॉ सोनिका सुमन ने एक बार फिर झारखंड का नाम रोशन किया है. हाल ही में उन्होंने जाम्बिया की कासामा यूनिवर्सिटी में आयोजित फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लिया, जहां उनके व्याख्यान ने शोधार्थियों और प्रोफेसरों को गहराई से प्रभावित किया. कार्यक्रम की सफलता के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें अध्यापन का औपचारिक दायित्व सौंपा, साथ ही पीएचडी शोध निर्देशन का अवसर भी प्रदान किया. डॉ सोनिका की शैक्षणिक उपलब्धियों से प्रभावित होकर वहां के प्रमुख न्यूज चैनल ने उनका इंटरव्यू प्रसारित किया, जिसमें उन्होंने भारत और झारखंड की शिक्षा और संस्कृति पर अपने विचार साझा किय. झारखंड के लोग भी उन्हें लंबे समय से जानते हैं. क्योंकि उनके लेख लगातार प्रकाशित होते रहते हैं, जिनमें वह राज्य की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक पहचान को उजागर करती हैं. उनके शोध कार्य को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो फिलिप ने उल्लेखनीय करार दिया. उनकी पहली पुस्तक का विमोचन झारखंड के राज्यपाल ने किया था. दूसरी पुस्तक म्यूनिख (जर्मनी) से प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दी. डॉ सोनिका कहती हैं यह उपलब्धि झारखंड की हर उस बेटी के नाम है, जो सपनों को सीमाओं से परे जाकर देखती है. वे चाहती हैं कि भारत और अफ्रीका के बीच शिक्षा व शोध का ऐसा पुल बने, जो आने वाली पीढ़ियों को जोड़ सके.
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