संस्कृत दिवस पर भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण का आह्वान

आधुनिक विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और समाजशास्त्र के मूल स्रोत भी संस्कृत में निहित हैं. यह अद्वितीय ज्ञान-भंडार न केवल भारतीय संस्कृति के संरक्षण में सहायक है.

By ANAND JASWAL | August 8, 2025 7:37 PM

संवाददाता, दुमका सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में संस्कृत दिवस का आयोजन गरिमामय वातावरण में हुआ. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ धनंजय कुमार मिश्र ने की. इसमें शोधार्थियों और स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. डॉ मिश्र ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है. वेद, उपनिषद, पुराण, महाकाव्य ही नहीं. आधुनिक विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और समाजशास्त्र के मूल स्रोत भी संस्कृत में निहित हैं. यह अद्वितीय ज्ञान-भंडार न केवल भारतीय संस्कृति के संरक्षण में सहायक है. बल्कि विश्व समस्याओं के समाधान की कुंजी भी प्रदान करता है. उन्होंने युवाओं से अध्ययन-अभ्यास द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को नयी पीढ़ी तक पहुंचाने का आह्वान किया. शोधार्थियों शिप्रा पाल, मो अबू नुरैन और आशा हेंब्रम ने संस्कृत के ऐतिहासिक, साहित्यिक और व्यावहारिक महत्व पर विचार रखे. वक्ताओं ने इसके वैश्विक महत्व और आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि भाषा मानवता के बौद्धिक व नैतिक विकास में आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी प्राचीन काल में थी. चैती कुमारी, बबली कुमारी, परिस्मिता, स्वीटी सेलिना, पूजा, सावित्री, राजेश सोरेन, हेमंत कुमार, ओम कुमार, बजरंग मांझी, सुमन, सोनामुखी, प्रियंका किस्कू और रौशन बेसरा ने आयोजन की सफलता में सक्रिय भूमिका निभायी. धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

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