91 हजार श्रद्धालुओं ने किया फौजदारीनाथ काे जलार्पण
दिनभर मंदिर प्रांगण शंखध्वनि और घंटों की आवाज से गुंजायमान रहा. चंद्रग्रहण के कारण शाम 6:30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिये गये. मंदिर पुजारियों ने शृंगार पूजा के बाद पट बंद किए, जो भोर चार बजे पुनः खोले गये.
भादो पूर्णिमा. बासुकिनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी, देर शाम तक चला जलार्पण
प्रतिनिधि, बासुकिनाथभादो पूर्णिमा के पावन अवसर पर रविवार को बाबा फौजदारीनाथ दरबार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. सुबह से शुरू हुआ जलार्पण का क्रम शाम तक जारी रहा. मंदिर प्रबंधन के अनुसार लगभग 91 हजार शिवभक्तों ने भोलेनाथ पर जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की. दिनभर मंदिर प्रांगण शंखध्वनि और घंटों की आवाज से गुंजायमान रहा. चंद्रग्रहण के कारण शाम 6:30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिये गये. मंदिर पुजारियों ने शृंगार पूजा के बाद पट बंद किए, जो भोर चार बजे पुनः खोले गये. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंडितों द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना की गयी. भक्तों ने स्पर्श पूजा कर भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद लिया. सुबह साढ़े चार बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. सरकारी पूजा के बाद मंदिर गर्भगृह का द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवगंगा में स्नान कर बाबा फौजदारीनाथ का जलाभिषेक किया. पंडित गणेशानंद झा के अनुसार पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से की गयी पूजा-अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर परिसर हर-हर महादेव के नारों से गूंज उठा. बिहार, बंगाल और झारखंड समेत कई जिलों से भक्त पहुंचे. गर्भगृह में प्रवेश हेतु कतार शिवगंगा तक पहुंच गयी. श्रद्धालुओं को संस्कार भवन गेट से प्रवेश दिलाया गया और निकास गेट पर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस निरीक्षक श्यामानंद मंडल, एसआई सुशील कुमार और कुंदन कुमार सिंह व्यवस्था संभालते रहे.2800 श्रद्धालुओं ने किया ‘शीघ्रदर्शनम’, 8.40 लाख आमदनीभादो पूर्णिमा पर ‘शीघ्रदर्शनम’ व्यवस्था के तहत 2800 टोकन बेचे गये. श्रद्धालुओं ने मंदिर कार्यालय से 300 रुपये का रसीद लेकर विशेष द्वार से गर्भगृह में प्रवेश कर जलार्पण किया. इस व्यवस्था से मंदिर प्रबंधन को 8 लाख 40 हजार रुपये की आय हुई.
पूर्णिमा पर दान-स्नान से मोक्ष की प्राप्ति
सनातन धर्म में भादो पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन नदी या किसी पवित्र सरोवर में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रांगण में ब्राह्मणों को दान दिया और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की. शिवभक्तों ने धार्मिक अनुष्ठान, मुंडन संस्कार और स्नान के बाद अपने आराध्य देव से मोक्ष की प्रार्थना की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
