Dhanbad News: धनबाद में कागजों में सिमट कर रह गया ट्रॉमा सेंटर, जिले में एक भी सेंटर नहीं होने से बढ़ रहे मौत के आंकड़े
Dhanbad News: चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में किसी भी जिले में ट्रॉमा सेंटर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह वह केंद्र है जहां दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायलों को तत्कालीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जाती है. यह जीवन रक्षक केंद्र के रूप में कार्य करती है.
ट्रॉमा सेंटर में गंभीर रूप से घायल मरीजों को न्यूरोलॉजी, ऑर्थोंपेडिक, हार्ट आदि से संबंधित चिकित्सा व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है. लेकिन अफसोस की बात है कि धनबाद जिले में एक भी ट्रॉमा सेंटर संचालित नहीं है. जिससे सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को समुचित इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि धनबाद में सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों के मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. जिला प्रशासन के आंकड़ों पर नजर डाले तो जनवरी, 2025 से अक्तूबर तक जिलेभर में 324 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. इनमें 190 लोगों अपनी जान गवां चुके हैं. जिले में अगर ट्रॉमा सेंटर संचालित होता तो इन मौत के आंकड़ों को कम किया जा सकता था.
एसएनएमएमसीएच में कागजों में सिमट कर रह गया ट्रॉमा सेंटर
धनबाद जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में कागज पर ट्रॉमा सेंटर चल रहा है. 50 माह पहले (दिसंबर 2020 में) यहां के एसआइसीयू में 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बना. इस ट्रॉमा सेंटर में न तो मरीज भर्ती होते हैं, न ही किसी वरीय अधिकारी को इसकी जानकारी है. ट्रॉमा सेंटर के नाम पर कुछ चिकित्सकों की कागज पर प्रतिनियुक्त की गयी. राशि की निकासी भी हो गयी, लेकिन आज तक कोई मरीज यहां भर्ती नहीं हुआ. जबकि, ट्रॉमा सेंटर का बोर्ड लगा हुआ है. नियम के अनुसार, ट्रॉमा सेंटर में सिर्फ सड़क दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों को ही भर्ती लेकर इलाज की सुविधा प्रदान करनी है. यहां ट्रॉमा सेंटर से जुड़े कई उपकरणों की कमी है. ऑपरेशन थियेटर (ओटी) भी सालों से बंद पड़ा है. ट्रॉमा सेंटर के लिए आवश्यक तकनीकी टीम भी नहीं है. ट्रॉमा सेंटर से जुड़ी सुविधा नहीं होने के कारण सड़क दुर्घटना व अन्य गंभीर मरीजों के अस्पताल पहुंचने पर सीधे रिम्स रेफर कर दिया जाता है. जबकि, केंद्र सरकार की ओर से ट्रॉमा सेंटर के लिए वर्ष 2010-11 में 82 लाख रुपए आवंटित किये हैं. इस राशि का इस्तेमाल ट्रॉमा सेंटर के संचालन के लिए करना था. ट्रॉमा सेंटर के विकास और आवश्यक दवा और उपकरणों की खरीदारी भी इसी राशि से करनी थी. ट्रॉमा सेंटर का संचालन नहीं होने के कारण यह राशि अब तक एसएनएमएमसीएच प्रबंधन के खाते में पड़ हुई है.तीन ट्रॉमा सेंटर के लिए अबतक जगह तलाश नहीं कर पाया स्वास्थ्य विभाग
आंकड़ों के अनुसार जिले में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं नेशनल हाइवे (एनएच) पर होती है. इसपर रोक लगाने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिले के तीन एनएच के समीप स्थित स्वास्थ्य केंद्रों को ट्रॉमा सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था. बैठक के कई माह बीत जाने के बावजूद अबतक जिला स्वास्थ्य विभाग ट्रॉमा सेंटरों के लिए स्थान का चयन नहीं कर पायी है. जानकारी के अनुसार निरसा, तोपचांची व टुंडी इलाके में स्थित स्वास्थ्य केंद्र को ट्रॉमा सेंटर के रूप में विकसित करने की योजना है. ताकि, सड़क दुर्घटनाओं में घायल गंभीर मरीजों को तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान कर उनकी जान बचाई जा सके.
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