Dhanbad News : जितया पर बेटे को 22 वर्ष बाद मिली ममता की छांव
22 साल बाद पुत्र को सामने देख पिता सहित छलक आयी सबकी आंखें, आठ साल की उम्र में घर से भाग गया था नवगछिया का सोनू, अस्पताल कर्मियों की पहल से अपने घर लौटा युवक
जितिया के नहाय खाय के दिन एक मां को अपार खुशी मिली. 22 वर्ष पहले घर से गुम बेटे को एक बार फिर ममता की छांव मिली. बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया से गायब हुए सोनू कुमार को 22 वर्ष बाद अपने परिजनों का सानिध्य मिला. यह संभव हुआ धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के लावारिस वार्ड के कर्मियों के प्रयास से. बीते एक साल से सोनू बेसहारा की तरह जिंदगी बिता रहा था.
आठ साल की उम्र में घर से भागा था सोनू :
सालों पुरानी यादें ताजा करते हुए पिता हरि शंकर प्रसाद सिंह की आंखें नम हो गयीं. उन्होंने बताया कि उनका बेटा सोनू महज आठ साल की उम्र में घर से भाग गया था. उस समय वह रक्सौल स्थित आदापुर में अपनी फुआ के घर गया था. वहीं से वह लापता हो गया. तब से परिवार उसकी तलाश में भटकता रहा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.भटकते-भटकते पहुंचा चेन्नई, फिर धनबाद :
सोनू ने बताया कि घर छोड़ने के बाद वह बलिया पहुंचा. वहां एक दंपति ने जिनकी कोई संतान नहीं थी, उसे अपने पास रख लिया. कुछ साल बाद वह वहां से भी निकल गया और चेन्नई जा पहुंचा. वहां फैक्ट्री में काम किया. इसी बीच किसी से उसे धनबाद के बारे में पता चला और वह काम की तलाश में झरिया आ गया.सड़क दुर्घटना में चलने-फिरने में असमर्थ हो गया है सोनू
झरिया में एक परिवार के साथ रहते हुए सोनू सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया. हादसे में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी. इलाज के लिए उसे पहले एसएनएमएमसीएच और फिर रिम्स भेजा गया. जहां ऑपरेशन हुआ. वह ठीक तो हुआ, लेकिन चलने-फिरने में असमर्थ हो गया. यह देख झरिया के उस परिवार ने भी उसे छोड़ दिया. मजबूरन वह एसएनएमएमसीएच के लावारिस वार्ड में भर्ती रह गया और वहीं उसका ठिकाना बन गया.सोशल मीडिया बना परिवार से मिलने का सेतु :
एसएनएमएमसीएच के कर्मियों को जब सोनू की दास्तान पता चली, तो उन्होंने मदद की ठानी. उन्होंने भागलपुर के नवगछिया स्थित अपने रिश्तेदारों से संपर्क किया और सोनू की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करवायी. तस्वीर विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल हो गया. इसके बाद वह अपने परिवार से मिल पाया.भावुक कर देने वाला क्षण :
शनिवार को सोनू के पिता हरि शंकर प्रसाद सिंह और अन्य परिजन एसएनएमएमसीएच पहुंचे. कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सोनू को परिवार के हवाले कर दिया गया. इतने वर्षों बाद बेटे को सामने देखकर पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े. वहीं सोनू भी गुमसुम भाव से अपने परिवार को देखता रहा. अस्पताल परिसर में मौजूद हर शख्स इस दृश्य को देखकर भावुक हो उठा.अस्पताल के कर्मियों की पहल बनी मिसाल :
एसएनएमएमसीएच के कर्मियों की संवेदनशील पहल और सोशल मीडिया की ताकत ने एक बिछड़े बेटे को उसके घर तक पहुंचा दिया. 22 सालों का इंतजार भले लंबा था, लेकिन अंततः इस परिवार की कहानी सुखद अंत तक पहुंची.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
