Dhanbad News: डिजिटल इंटेलिजेंस से उज्ज्वल होगा खनन का भविष्य : जॉयदीप दासगुप्ता

आइआइटी आइएसएम में खनन इंजीनियरिंग विभाग का दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

By ASHOK KUMAR | September 13, 2025 1:41 AM

धनबाद

.आइआइटी आइएसएम धनबाद के खनन इंजीनियरिंग विभाग की ओर से शताब्दी वर्ष समारोह के तहत दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “डिजिटल इंटेलिजेंस फॉर ग्रीन माइनिंग एंड इंडस्ट्रियल नेटवर्क्स (डीआइजीएमआइएन 2025) शुक्रवार से शुरू हो गया. गोल्डन जुबली लेक्चर थियेटर में आयोजित इस सम्मेलन में देश-विदेश से आये विशेषज्ञ, शोधकर्ता व उद्योग प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि एनएमडीसी लिमिटेड के निदेशक (उत्पादन) जॉयदीप दासगुप्ता ने किया. उन्होंने कहा कि खनन उद्योग का भविष्य डिजिटल इंटेलिजेंस और ग्रीन माइनिंग से जुड़ा है. आधुनिक तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से खनन क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू सकेगा.

राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है खनन

कार्यक्रम में विशेष अतिथि आइआइटी इंदौर की प्रो. नीलिमा सत्याम ने टेक्समिन के नवाचारों की सराहना की. बताया कि खनन राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है. संस्थान के उपनिदेशक प्रो. धीरज कुमार ने माइनिंग 4.0 और 5.0 से डिजिटल परिवर्तन की संभावनाओं पर चर्चा की. सम्मेलन संयोजक प्रो. अनिंद्य सिन्हा ने कहा कि भारत को ऊर्जा संक्रमण के साथ औद्योगिक विकास में संतुलन बनाना होगा. इसके लिए ऑटोमेशन, एआइ व रोबोटिक्स को अपनाना आवश्यक है. विभागाध्यक्ष प्रो. बीएस चौधरी ने डीआइजीएमआइएन 2025 का उद्देश्य डिजिटल परिवर्तन को गति देना बताया.

150 से अधिक शोध-पत्र किये जा रहे प्रस्तुत

पहले दिन यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा के प्रो. राजीव गांगुली, आइआइटी आइएसएम के पूर्व निदेशक प्रो. डीसी पाणिग्रही, प्रो. नीलिमा सत्याम और प्रो. आलोक पोरवाल ने व्याख्यान दिये. सम्मेलन में 150 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं. आयोजन का मुख्य लक्ष्य डिजिटल तकनीकों, आइओटी, ऊर्जा दक्षता, आपदा प्रबंधन और क्रिटिकल मिनरल मैपिंग जैसे विषयों पर सहयोग बढ़ाना है. यह सम्मेलन खनन क्षेत्र में सतत विकास और नवाचार की राह को मजबूत करने का प्रयास करेगा. सम्मेलन का आयोजन खनन इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अनिंद्य सिन्हा और प्रो. सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में हो रहा है. आयोजन की सफलता में उपनिदेशक प्रो. धीरज कुमार, विभागाध्यक्ष प्रो. बीएस चौधरी और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

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