ग्रामीणों ने प्रबंधन को दिया सात दिनों का अल्टीमेटम

बस्ताकोला: विश्वकर्मा परियोजना प्रबंधन व आंदोलनकारियों के बीच बुधवार को वार्ता के साथ करीब 27 घंटा बाद कर्मियों की हड़ताल समाप्त हो गयी. लाहबेड़ा के 37 बीसीसीएलकर्मियों को स्थायी करने के लिए प्रबंधन को आंदोलनकारियों ने सात दिनों का समय दिया है. जबकि प्रबंधन मामले को निबटाने के लिए एक माह का समय मांग रहा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 16, 2013 1:30 PM

बस्ताकोला: विश्वकर्मा परियोजना प्रबंधन व आंदोलनकारियों के बीच बुधवार को वार्ता के साथ करीब 27 घंटा बाद कर्मियों की हड़ताल समाप्त हो गयी. लाहबेड़ा के 37 बीसीसीएलकर्मियों को स्थायी करने के लिए प्रबंधन को आंदोलनकारियों ने सात दिनों का समय दिया है. जबकि प्रबंधन मामले को निबटाने के लिए एक माह का समय मांग रहा था.

मंगलवार को मासस के बैनर तले लाहबेड़ा के आदिवासी बीसीसीएलकर्मी सुबह आठ बजे से विश्वकर्मा परियोजना में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये थे. हालांकि प्रबंधन ने हड़ताल तुड़वाने के लिए कई बार वार्ता की पहल की. लेकिन, ग्रामीण सीएमडी व डीपी से वार्ता करने पर अड़े हुए थे. वार्ता में महाप्रबंधक एके सिंह, पीओ डीके मिश्र, पीएम ओपी लोहरा, वीरेंद्र भूषण, ग्रामीणों की ओर से पूर्व विधायक सह मासस अध्यक्ष आनंद महतो, महासचिव हलधर महतो, परदेशी मुमरू, धीरेन मुखर्जी, बिंदा पासवान, नंदलाल महतो, भूषण महतो, धरम बाउरी, टून्नु गुप्ता, संजय निकुं भ आदि थे.

जमीन दखल को ले एक दूसरे पर दोषारोपण : बीसीसीएल द्वारा अधिग्रहीत करीब 38 एकड़ जमीन पर दखल के सवाल पर प्रबंधन व ग्रामीणों के बीच दोषारोपण शुरू हो गया है. प्रबंधन का कहना है कि अधिग्रहीत जमीन का एक हिस्सा 5.85 एकड़ पर बाहरी लोगों का कब्जा है. उक्त जमीन पर ग्रामीण कंपनी को दखल दिलाये, तभी कर्मियों का स्थायीकरण हो सकता है. वहीं ग्रामीणों का तर्क है कि जब वे लोग बीसीसीएल को जमीन दे चुका है तो अवैध कब्जा हटाने की जिम्मेवारी जिला प्रशासन व बीसीसीएल की है. हालांकि समझौता पत्र में दोनों पक्ष के सहयोग से अवैध कब्जा हटाने की बात कही गयी है.

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