बीएसएनएल में आउटसोर्स पर बहाल होंगे कर्मचारी, लेकिन नहीं मिल रही कंपनी

संजीव झा, धनबाद : खराब आर्थिक हालत से गुजर रहे भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में अब ठेका पर बहाल होंगे अधिकारी, कर्मी. हालांकि, कंपनी की खराब स्थिति को देखते हुए यहां आउटसोर्स पर बहाली के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आ रही है. दूसरी तरफ, धनबाद दूरसंचार जिला में 50 फीसदी से अधिक कर्मियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 27, 2019 9:05 AM

संजीव झा, धनबाद : खराब आर्थिक हालत से गुजर रहे भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में अब ठेका पर बहाल होंगे अधिकारी, कर्मी. हालांकि, कंपनी की खराब स्थिति को देखते हुए यहां आउटसोर्स पर बहाली के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आ रही है. दूसरी तरफ, धनबाद दूरसंचार जिला में 50 फीसदी से अधिक कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत आवेदन दे दिया है.

क्या है स्थिति
दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल एवं एमटीएनएल की स्थिति सुधारने के लिए वीआरएस योजना मंजूर किया था. इसके तहत अधिकारियों एवं कर्मियों से वीआरएस का ऑप्शन मांगा गया था. धनबाद एवं बोकारो जिला से कुल 177 ने वीआरएस के तहत आवेदन दिया था. इसमें से चार अधिकारी हैं. इनमें एक एसडीइ, एक लेखा पदाधिकारी तथा सिविल विभाग के एक कार्यपालक एवं एक सहायक अभियंता शामिल हैं.
धनबाद दूरसंचार जिला में कुल 330 अधिकारी एवं कर्मी अभी कार्यरत हैं. जिन कर्मियों ने वीआरएस का ऑप्शन दिया है. उन्हें 31 जनवरी 2020 को रिटायर कर दिया जायेगा. वीआरएस के तहत देय राशि का भुगतान दो से तीन किस्तों में होगी. ग्रेच्युटी का भुगतान संबंधित अधिकारी, कर्मी के 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर मिलेगी.
आउटसोर्स को तैयार नहीं कंपनियां
सूत्रों के अनुसार बीएसएनएल प्रबंधन ने आउटसोर्स पर कर्मियों की बहाली के लिए टेंडर किया. लेकिन, धनबाद के लिए किसी भी कंपनी ने अब तक अपनी इच्छा नहीं जतायी है. बताया जाता है कि आउटसोर्स पर दैनिक मजदूर व अन्य कर्मी देने वाली कंपनियों को 10 माह से पैसा नहीं मिला है.
इसके चलते दैनिक मजदूरों को वेतन नहीं मिल पा रहा है. एक-दो आउटसोर्स कंपनियों के संचालक ने तो काम छोड़ दिया है. दैनिक वेतन भोगी मजदूर संघ ने इस मामले में क्षेत्रीय श्रमायुक्त के न्यायालय में मुकदमा भी कर रखा है. इन्हीं कारणों से कोई भी कंपनी अब टेंडर लेने से डर रही है. एक साथ 177 कर्मियों के चले जाने से निगम के कामकाज पर प्रभाव पड़ना निश्चित है.
खराब आर्थिक स्थिति के कारण ठेका लेने के लिए आगे नहीं आ रही कोई कंपनी
10 माह से ठेका कर्मियों को नहीं मिल रहा वेतन
धनबाद, बोकारो के 50 फीसदी से अधिक ने लिया है वीआरएस

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