Deoghar News: हाथ के बल चलकर 123वें दिन बैद्यनाथ धाम पहुंचे ‘बिच्छू बम’, जानें उनके सफर के बारे में

Deoghar News: अशोक गिरि उर्फ बिच्छू बम भगवान भोलेशंकर के भक्त हैं. 11 जुलाई 2022 को भागलपुर जिला अंतर्गत सुल्तानगंज से जल उठाया था. यहां से वह हाथ के बल चलकर 123वें दिन बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पहुंचे. बताते हैं कि वह 31 साल से बाबा भोलेनाथ की भक्ति कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2022 9:19 PM

Deoghar News: आखिरकार बिच्छू बम बाबाधाम पहुंच गये. बाबा मंदिर प्रांगण में पहुंचने के बाद वह अपने पैरों पर खड़े हुए. इसके बाद मंदिर प्रांगण में हर-हर महादेव और बाबा बैद्यनाथ की जय के जयकारे लगे. बिच्छू बम ने मंदिर प्रांगण में बैठे बैल को केला खिलाया. इनका नाम अशोक गिरि उर्फ मन्नू सोनी उर्फ ‘बिच्छू बम’ है. उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के रहने वाले हैं. रक्षा बंधन के दिन बिच्छू बम ने बाबा धाम के लिए हाथ के बल अपनी यात्रा शुरू की थी.

उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं अशोक गिरि उर्फ बिच्छू बम

उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के नाथनगर रसाढ़ा निवासी अशोक गिरि उर्फ बिच्छू बम भगवान भोलेशंकर के भक्त हैं. 11 जुलाई 2022 को भागलपुर जिला अंतर्गत सुल्तानगंज से जल उठाया था. यहां से वह हाथ के बल चलकर 123वें दिन बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पहुंचे. बताते हैं कि वह 31 साल से बाबा भोलेनाथ की भक्ति कर रहे हैं.

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जूना अखाड़ा के महंत से ली है दीक्षा

बता दें कि बिच्छू बम ने हरिद्वार के जूना अखाड़ा के महंत सत्यगिरि नागा महाराज से दीक्षा ली है. संतों ने संकल्प लिया था कि राम मंदिर के निर्माण की सूचना मिलेगी, तो 108 फुट का कांवरलेकर हरिद्वार से अमरनाथ की पैदल यात्रा पर निकलेंगे. जब भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण की खबर मिली, तो उस दल में शामिल सभी साधु-संत कहीं न कहीं निकल गये.

108 फुट के धागा का लिया संकल्प

आखिरकार अशोक गिरि ने 108 फुट के धागा का संकल्प लिया और अमरनाथ की पैदल यात्रा की. यह यात्रा उन्होंने अकेले पूरी की. उसके बाद से उनकी यात्रा नहीं रुकी. बिच्छू बम ने वर्ष 1991 से वर्ष 2000 तक सुल्तानगंज से बाबाधाम और यहां से बासुकिनाथ तक पैदल कांवर यात्रा की. तीन साल तक उन्होंने डाक बम के रूप में भी बाबा के दरबार में हाजिरी लगायी.

बासुकिनाथ भी जायेंगे बिच्छू बम

वर्ष 2014 से हर पूर्णिमा पर डाक बम के रूप में कांवर लेकर बाबा के दरबार में पहुंचे. अब कान में कुंडल कांवर यानी हाथ के बल चलकर देवघर पहुंचे हैं. बाबा को जलार्पण करनेके बाद वह दुमका जिला में स्थित बासुकिनाथ भी जायेंगे. उनके साथ उनके गुरुजी भी दंड प्रणाम करते हुए चल रहे हैं.

रिपोर्ट- संजीव कुमार झा, देवघर

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