साधारण मछुआरा से बड़ा कारोबारी बना, प्रति वर्ष 400 टन मछली का करता है उत्पादन, कुछ ऐसी है प्रह्लाद की कहानी

तभी उनके पिता गन्नू मलाह की मौत हो गयी थी. पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गयी थी, जिसके कारण वे पढ़ाई पूरी नहीं कर पाये. परिवार चलाने के लिए प्रह्लाद ने छोटी उम्र से ही तालाब से मछली पकड़ कर बाजार में बेचना शुरू कर दिया. बड़ा होने पर मत्स्य विभाग के सहयोग से पूरी तरह मछली के कारोबार में उतर गये. आज उन्होंने गांव के 50 युवकों को रोजगार दिया है.

By Prabhat Khabar | March 5, 2021 2:02 PM

Jharkhand News, Chatra News In hindi जोरी : थाना क्षेत्र के मास्टर मुहल्ला निवासी प्रह्लाद चौधरी ने मछली उत्पादन व उसके व्यवसाय के क्षेत्र में झारखंड में अपनी अलग पहचान बनायी है. उनका नाम झारखंड के बड़े मछली कारोबारी में होने लगा है. कठिन परिश्रम व लगन के बलबुते प्रह्लाद ने मछली के व्यवसाय में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वर्तमान में वे प्रति वर्ष 400 टन से ज्यादा मछली उत्पादन कर झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में बेच रहे हैं. प्रह्लाद जब छह वर्ष के थे,

तभी उनके पिता गन्नू मलाह की मौत हो गयी थी. पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गयी थी, जिसके कारण वे पढ़ाई पूरी नहीं कर पाये. परिवार चलाने के लिए प्रह्लाद ने छोटी उम्र से ही तालाब से मछली पकड़ कर बाजार में बेचना शुरू कर दिया. बड़ा होने पर मत्स्य विभाग के सहयोग से पूरी तरह मछली के कारोबार में उतर गये. आज उन्होंने गांव के 50 युवकों को रोजगार दिया है.

सम्मानित हो चुके हैं प्रह्लाद

प्रह्लाद मछली व्यवसायी में बेहतर परिणाम देने पर झारखंड प्रदेश स्तर पर सम्मानित होने के साथ-साथ इन्हें नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (आंध्र प्रदेश) द्वारा वर्ष 2018 में सम्मानित हो चुके हैं.

हैचरी व्यवसायी से भी जुड़े हैं प्रह्लाद

प्रह्लाद हैचरी के व्यवसायी से भी जुड़ गये हैं. वर्तमान में झारखंड नवोंमेषी हैचरी के मालिक है. प्रह्लाद ने बताया कि प्रति वर्ष दस मिलियन अंडों का उत्पादन करते हैं. मत्स्य बीज का परिवहन करने के लिए नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड से सहायता प्राप्त है. झारखंड में मत्स्य मित्र के रूप में कार्य करते हुए कई राज्यों में नियमित रूप से मछली के जीरा का सफलतापूर्वक निर्यात करते हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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