Chaibasa News : प्रेम, सेवा और त्याग की पहचान बना चक्रधरपुर कैथोलिक चर्च

फादर मुलैंडर के अधूरे सपने को मोनसिनोर गोथोलस ने किया साकार

By ATUL PATHAK | December 23, 2025 11:43 PM

चक्रधरपुर. चक्रधरपुर में रोमन कैथोलिक चर्च की नींव 133 वर्ष पूर्व पड़ी थी. फादर मुलैंडर एसजे के चर्च निर्माण के सपने को साकार करने के लिए एम गोथोलस ने वर्ष 1892 में तीन एकड़ जमीन खरीदी. वर्तमान में इसी जमीन पर स्थित कैथोलिक चर्च प्रभु यीशु के प्रेम, त्याग और दया का संदेश निरंतर बांट रहा है. जानकारी के अनुसार, वर्ष 1887 से ही चक्रधरपुर में बसे कैथोलिक ईसाई प्रभु यीशु की प्रेम-ज्योति से आलोकित हो रहे हैं. उसी वर्ष मोनसिनोर गोथोलस ने यहां एक छोटा घर खरीदा था. 1888-89 में फादर मुलैंडर एसजे बंगाल-नागपुर रेलवे के पहले पुरोहित बने और उन्हें रेलकर्मियों का आत्मिक उत्थान कराने की जिम्मेदारी दी गयी. फादर के समर्पण से प्रभावित होकर स्थानीय लोगों ने उन्हें एक बंगला भेंट किया. 1890 में फादर मुलैंडर एसजे बंदगांव से चक्रधरपुर पहुंचे. उनका सपना था कि यहां एक भव्य गिरजाघर बने. लेकिन 1891 में बीमार पड़ने पर उन्हें कोलकाता लौटना पड़ा. वहीं, चिकित्सकीय सलाह पर वे यूरोप रवाना हुए, किंतु रास्ते में कोलंबो में ही उनका निधन हो गया. इधर, उनके अधूरे सपने को साकार करने के लिए मोनसिनोर गोथोलस ने 1892 में तीन एकड़ भूमि खरीदी और वर्तमान गिरजाघर की नींव रखी.

1940 तक चाईबासा से आते थे पुरोहित:

1892 तक चक्रधरपुर में कैथोलिक विश्वासियों की संख्या मात्र 205 थी. सुविधाओं के अभाव में 1902 से 1940 तक पुरोहित चाईबासा से आकर ही स्थानीय विश्वासियों को सुसमाचार सुनाते थे. उस समय मिस्सा पूजा और प्रार्थना सभाएं रेलवे स्कूल या रेलवे इंस्टीट्यूट के परिसर में आयोजित होती थीं. गिरजाघर निर्माण के लिए धन संग्रह की दिशा में फादर निओ डिजारडिन एसजे, बीडी मेलो, एस डीसिल्वा और डुल्लिंद ने हाउजी और व्हीट्स जैसे खेलों का आयोजन किया. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 1941 में गिरजाघर का निर्माण पूरा हुआ.

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