Bokaro News : नावाडीह में 400 साल पुराना है बरगद का पेड़

Bokaro News : नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित पेंक में आठ पीढ़ियों का गवाह है बड़का बोर के नाम से प्रसिद्ध एक बरगद का पेड़. यह पेड़ 1908 में हुए सर्वें में स्पष्ट रूप से अंकित है.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | June 4, 2025 10:29 PM

राकेश वर्मा, बेरमो, नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित पेंक में आठ पीढ़ियों का गवाह है बड़का बोर के नाम से प्रसिद्ध एक बरगद का पेड़. यह पेड़ 1908 में हुए सर्वें में स्पष्ट रूप से अंकित है. इस पेड़ के मुख्य जड़ का आज तक कोई पता नहीं लगाया जा सका है. लगभग चार एकड़ क्षेत्र में यह पेड़ फैला है. पेड़ों पर शोध करने वाले हजारीबाग के देवदत्त ने भी इस पेड़ पर शोध किया है और अपने किताब में जिक्र किया है कि यह लगभग 400 साल पुराना पेड़ है. कहा जाता है कि यह पेड़ घटवार (सिंह) परिवार के पूर्वजों ने लगाया था. इसके प्रति लोगों की आस्था भी है. वर्षा नहीं होने पर विधि पूर्वक इस पेड़ की पूजा कर मन्नत मांगी जाती थी. मान्यता है कि यहां मांगी गयी मुराद पूरी होती है. बुजुर्ग बताते हैं कि पेंक गांव के मालिक साधु सिंह हुआ करते थे, छडीदार पति सिंह थे. इनके पूर्वजों द्वारा पूजा सामग्री उपलब्ध करायी जाती थी. 70-80 के दशक तक गांव के लोग इसी पेड़ के पास जमा होकर गांव के संबंध में कोई फैसला लेते थे. अंकल सिंह ने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना था कि मंगलू सिंह के पूर्वज यहां के सबसे पुराना वशिंदा है. वह लोग बरगद पेड़ के पास बकरे की बलि देते थे. मंगलू सिंह के वंशज बोना सिंह, बोना सिंह के वंशज धनपत सिंह, धनपत सिंह के वंशज पोखो सिंह, पोगो सिंह के वंशज महरू सिंह आज भी पूजा करते आ रहे हैं. बुजुर्ग कहते हैं कि वर्ष 1940 में बेरमो के जारंगडीह व गोमिया के होसिर व साड़म से उठ कर पेंक में बसने का सिलसिला शुरू हुआ.

दो सौ साल के पुराने बरगद के कई पेड़ हैं यहां

ऊपरघाट के पेंक में दो सौ साल पुराने बरगद के कई पेड़ हैं. पलामू का जोडाबांध बोर, बरई का झरना बांध बोर, नारायणपुर का मंडप बोर इसमें शाामिल हैं. कोठी में सौ साल पुराना आम का एक पेड़ है. यह लगभग 50 डिसमिल जमीन में फैला है. हर वर्ष यहां बकरा की बलि देकर प्रसाद के रूप में पूरे गांव में वितरण किया जाता है.

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