Bokaro News : गोमिया और नावाडीह के जंगलों में आग से सैकड़ों पेड़ जले
Bokaro News : गोमिया और नावाडीह क्षेत्र के जंगलों में पिछले दस दिनों में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर अगलगी की घटनाएं हो चुकी हैं.
रामदुलार पंडा /राकेश वर्मा : गोमिया और नावाडीह क्षेत्र के जंगलों में पिछले दस दिनों में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर अगलगी की घटनाएं हो चुकी हैं. महुआटांड़ से लेकर जगेश्वर बिहार और घघरी से लेकर लुगू पहाड़ और झुमरा पहाड़ तक जंगलों में ऐसी घटनाएं हुई हैं. अभी भी धवैया के गोपो जंगल और लुगू पहाड़ के जंगल में कई जगह आग लगी हुई है़
जंगलों में आग लगने से सैकड़ों हेक्टेयर जंगल में अनेक प्रकार की वनस्पति, पेड़-पौधे और जंगली जीव-जंतु जल गये या प्रभावित हुए हैं. जैव विविधता को भारी नुकसान पहुंचा है. झुमरा पहाड़ के जमनीजारा में भयावह आग लगने की घटना के पूर्व तिलैया मोड़ से रेलवे गेट के बीच जंगल में भयावह आग लग गयी थी. यह आग थमी नहीं थी कि जगेश्वर बिहार और खखंडा के बीच सेहदा जंगल में भीषण आग लग गयी. ठीक इसके बाद हड़िया मोड़ से गांगपुर के बीच जंगल में आग लग गयी. तेज हवाओं के कारण आगे बढ़ती चली गयी और एक बड़े भाग को चपेट में ले लिया. हालात यह थी कि बीच सड़क से होकर गुजरने वाले राहगीरों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगल में रहने वाले जीव जंतुओं पर क्या प्रभाव हुआ होगा. इसके अलावा लुगु पहाड़ जंगल में भी कई जगहों पर आग लगी हुई है और रात में आग के लपटों को देखा जा सकता है. सोमवार को छिटपुट बारिश से आग की रफ्तार में थोड़ी कमी आयी है. नावाडीह के बारीडीह व अन्य जंगलों में 10-15 दिनों से लगी आग में पेड़-पौधे जल रहे हैं. प्राकृतिक संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है. पलाश, सखुआ, खैर, नीम, आम, इमली, बैर, कन्नौद, बहरी, पियार, केन्दों, जामुन, महुआ, पीपल, गुलमोहर, बेल, सिमल के हजारों पेड़ों को नुकसान पहुंचा है. हजारों पौधे जल कर नष्ट हो गये हैं. हजारों पेड़ झुलस गये हैं. जंगल में आग लगने के कारण विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे में है.अब, धवैया के गोपो जंगल में भी लगी भीषण आग, हाथियों का झुंड है यहां
धवैया के गोपो जंगल में सोमवार को भीषण आग लग गयी. वनकर्मी तीन-तीन ब्लोअर मशीन से आग बुझाने में जुटे हैं. लेकिन आग तेजी से बढ़ रही है. जानकारी के अनुसार हाथियों का झुंड भी इसी जंगल में है. वनकर्मी स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं.कई जगह महुआ चुनने के लिए लगा दी जाती है आग
जानकारी के अनुसार गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनाएं होने लगती हैं. ज्यादातर जगहों पर जान बूझकर आग लगा दी जाती है. कहीं प्राकृतिक कारणों से आग लग जाती है. गर्मी के मौसम में तेज हवा से पेड़ों की डाली आपस में टकराती है और चिंगारी निकलती है. इस चिंगारी से पेड़ों ने नीचे गिरी सूखी पत्तियों में आग लग जाती है. कई जगह पेड़ों से गिरे महुआ को चुनने के लिए लोग जंगलों में गिरे सूखे पत्तों में आग लगा देते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
