Bokaro News : बोकारो में ग्राउंड वाटर की स्थिति चिंताजनक, बचे हैं मात्र 12501.03 एचएएम शुद्ध भूजल

Bokaro News : भारत सरकार की डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स की 2023 की रिपोर्ट, लगातार बढ़ रहे दोहन से घट रहे भू-जल स्तर, डोभा से नहीं हो रहा लाभ.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | July 24, 2025 9:22 PM

सीपी सिंह, बोकारो, वर्षा जल संरक्षण व किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से डोभा निर्माण की योजना वर्ष 2016 में तत्कालीन रघुवर दास सरकार में बनायी गयी. मनरेगा के तहत हर प्रखंड में लक्ष्य निर्धारित कर डोभा निर्माण कार्य को गति दी गयी. जिले में पिछले पांच वर्षों के दौरान 7235 डोभा बनाया गया. लेकिन, जिस लक्ष्य के तहत निर्माण किया गया था वो पूरा होते नहीं दिख रहा. जिला में कृषि कार्य में डोभा का योगदान लगभग ना के बराबर है, वहीं भूमिगत जल में भी कोई असर नहीं दिख रहा है. आंकड़े की बात करें तो यह लगातार कम हो रहा है.

भारत सरकार की डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स की 2023 की रिपोर्ट की मानें तो बोकारो जिले की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है. जिला में भविष्य उपयोग के लिए मात्र 12501.03 एचएएम शुद्ध भूजल ही बचा है. एक साल में बोकारो जिले में भविष्य उपयोग के लिए भूजल की स्थिति में 8152.23 एचएएम की कमी आयी है. 2022 की रिपोर्ट की मानें तो बोकारो जिला में 20653.26 एचएएम भविष्य उपयोग के लिए था. जबकि 2023 की रिपोर्ट में यह घटकर 12501.03 एचएएम हो गया है. इतना ही नहीं एक साल में भूजल दोहन का चरण 30 से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया. यानी भूजल दोहन में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. बोकारो के लिए असली चिंता का कारण यह है कि भूजल रिचार्ज भी नहीं हो रहा है. 2022 के मुकाबले 2023 में 8986.74 एचएएम की कमी आयी है. 2023 में कुल 22520.76 एचएएम भूजल रिचार्ज हुआ है, जबकि 2022 में यह 31507.50 एचएएम था. 2023 के रिपोर्ट के अनुसार मानसून समय में वर्षा से 18003.58 एचएएम व अन्य स्त्रोत से 1458.23 एचएएम भूजल रिचार्ज हुआ. जिला में सिंचाई के लिए 2393 एचएएम भूजल की खपत होती है.

डोभा से बचता 62 करोड़ लीटर पानी

30 गुना 30 गुना 10 फीट आकार के एक डोभा बनाने में 5160 क्यूबिक फीट मिट्टी निकलती है. क्यूबिक फीट को मीटर में बदलने पर यह आंकड़ा 146 क्यूबिक मीटर होता है. एक क्यूबिक मीटर जगह एक हजार लीटर पानी की जगह के बराबर है. इस तरह 146 क्यूबिक मीटर में 1.46 लाख लीटर पानी इकट्ठा होगा. अनुमान के मुताबिक पानी से भरे डोभा से बरसात के बाद करीब 40 फीसदी तक वाष्पीकरण (इवेपोरेशन) हो सकता है. जल के 40% भाष्पीकरण के बाद एक डोभा में 86 हजार लीटर जल संग्रह होता. यानी 7235 डोभा से जिला 62.22 करोड़ लीटर जल संरक्षण कर सकता था.

यह है आंकड़ें

साल 2021–22 में 1919, 2022–23 में 1195, 2023–24 में 1912, 2024–25 में 1967 व 2025–26 में 242 डोभा निर्माण हुआ है.

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