Bokaro News : मनोचिकित्सक हर माह 360 परेशान मरीजों की करते हैं काउंसेलिंग
Bokaro News : आत्महत्या रोकथाम दिवस पर खास : बोकारो में लगातार बढ़ रहे अवसाद के मरीजों की संख्या, परेशानी होने पर 14416 हेल्पलाइन नंबर पर ले सकते हैं मदद.
रंजीत कुमार, बोकारो, जीवन अनमोल है, किसी एक विफलता या कोई विपदा से परेशान हो कर यूं ना अपनी इहलीला समाप्त कर लें. बाेकारो में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. बदलती जीवन शैली, नौकरी, व्यवसाय, परिवार में छोटी-छोटी समस्या या तनाव से परेशान हो कर लोग अपनी जान दे रहे हैं. साथ ही अवसादग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. प्रौढ़ भी अब इस खतरनाक रास्ते पर चल पड़े हैं. यह बेहद चिंताजनक है. बोकारो में हर माह पांच से सात युवा आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा रहे हैं. आत्महत्या करनेवालों में 18 से 40 वर्ष के युवा शामिल है. लगातार अवसाद बढ़ने की वजह से आत्महत्या की संख्या में इजाफा हो रहा है. मनोचिकित्सक आत्महत्या जैसी घटना को संवेदनशीलता के साथ जोड़कर देखते है. अभिभावकों द्वारा बच्चों के साथ कम समय व्यतीत करना भी प्रमुख कारण मान रहे है. बोकारो में एक चिकित्सक के पास एक ओपीडी में औसतन 30 से 35 मरीज काउंसेलिंग के लिए आ रहे है. लगातार बढ़ रही संख्या हैरान करनेवाली है. बोकारो में हर माह लगभग 360 मरीजों में तनाव के लक्षण मिल रहे हैं.
अवसाद से लोगों को राहत देने के लिए सरकारी स्तर पर काउंसेलिंग की व्यवस्था है. मनोचिकित्सक 24 घंटे फोन पर उपलब्ध है. टेलीमानस के 14416 हेल्पलाइन नंबर का सहारा ले रहे है. हेल्पलाइन के माध्यम से सदर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ प्रशांत मिश्र ने वर्ष 2025 में जनवरी से अगस्त तक 3670 मरीजों की काउंसेलिंग की है. साथ ही सदर अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग में सप्ताह में तीन ओपीडी जांच करते है. प्रति ओपीडी 40 से 50 मरीज तनाव की समस्या लेकर आते है. इसमें 30 से 35 मरीज तनाव से ग्रस्त मिलते है.सरकारी स्तर पर वर्ष 2025 में आठ माह (जनवरी से अगस्त) में स्कूल व अस्पतालों में 50 कैंप लगाये गये. मानसिक समस्या लेकर 400 से अधिक मरीज आये. डॉ प्रशांत ने कहा कि वर्ष 2025 में मरीजों को बेहतर सेवा देने पर काम कर रहे हैं. तनावग्रस्त मरीजों में आत्मघाती लक्षणों में गंभीर अवसाद, बेचैनी व उत्तेजना, सामाजिक अलगाव, मादक पदार्थों का सेवन, नींद की समस्या, खुद की हानि करने जैसा व्यवहार, आत्महत्या या धमकी वाले लहजे के बारे में बात करना दिखाई पड़ता है. जागरूकता पहुंचा कर आत्महत्या को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा सकती है.
कैसे करें बचाव
समय पर मदद लें : अगर मन में आत्महत्या जैसे विचार आते हैं, तो तुरंत किसी काउंसलर या मनोचिकित्सक से संपर्क करें. बात करें, छुपाएं नहीं : मन की समस्या दोस्तों, परिवार या भरोसेमंद व्यक्ति से साझा करें. जीवनशैली सुधारें : नियमित व्यायाम, योग, ध्यान और संतुलित भोजन मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करते हैं.सोशल मीडिया और नकारात्मक माहौल से दूरी बनायें, छोटी-छोटी खुशियों को महत्व दें.
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