Bokaro News : जुग-जुग जिय ए बबुआ हमार हो, चंदा जइसन चमके इ मुखड़ा तोहार हो…

Bokaro News : नहाय-खाय के साथ शनिवार से शुरू होगा तीन दिवसीय जितिया पर्व, निर्जला उपवास कल, सोमवार की सुबह 06.27 बजे के बाद पारण, संतान प्राप्ति व उनकी मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं महिलाएं.

By ANAND KUMAR UPADHYAY | September 12, 2025 10:56 PM

बोकारो, जुग-जुग जिय ए बबुआ हमार हो…चंदा जइसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो…के साथ तीन दिवसीय जितिया पर्व शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. दूसरे दिन रविवार को व्रती महिलाएं निर्जला उपवास में रहकर जितिया करेंगी. तीसरे दिन सोमवार को सुबह 06,27 बजे के बाद व्रत का पारण होगा. महिलायें संतान प्राप्ति व उनकी मंगल कामना के लिए नेम-निष्ठा के साथ जितिया व्रत रखती हैं.

आज नदी-तालाब में स्नान कर घर में नेम-निष्ठा स्वादिष्ट भोजन बनायेंगी व्रती

नहाय-खाय के दिन मतलब, आज शनिवार को महिलाएं नदी-तालाब में स्नान कर घर में नेम-निष्ठा स्वादिष्ट भोजन बनायेंगी. इसमें अरवा चावल का भात अरहर का दाल, पांच से सात प्रकार की सब्जी, पापड़, पकौड़ी बनती है. परिवार के सभी लोग मिलकर एक साथ भोजन करते है.

तीन दिन तक चलता है व्रत

हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति व उनकी मंगल कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. मान्यता के अनुसार जितिया का व्रत तीन दिन तक चलता है. जितिया व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से होती है. समापन पारण के साथ नवमी तिथि के दिन किया जाता है. जितिया व्रत अश्विन मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को रखा जाता है. अष्टमी की तिथि पर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है.

व्रत में जीमूतवाहन के पूजन का विधान : पं शिव कुमार शास्त्री

श्रीराम मंदिर सेक्टर वन के ज्योतिषाचार्य पंडित शिव कुमार शास्त्री ने शुक्रवार को बताया कि वाराणसी व मैथिली दोनों पंचांगों के निर्णय के अनुसार, जितिया व्रत का नहाय खाय 13 सितंबर को है. जीवित्पुत्रिका व्रत 14 सितंबर को है. इस दिन महिलाएं अपने पुत्रों के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत का पारण 15 सितंबर को सुबह 06.27 बजे के बाद होगा. जितिया व्रत में जीमूतवाहन के पूजन का विधान है.

200 रुपये प्रतिकिलो तक बिका सतपुतिया, नोनी साग व मडुआ का आटा

जितिया को लेकर दूंदीबाग सहित बोकारो-चास में जगह-जगह सतपुतिया, नोनी साग व मडुआ का आटा के दाम आसमान छू रहे थे. उक्त तीनों 200 रुपये प्रतिकिलो तक बिका. पर्व में सतपुतिया बनाना अनिवार्य होता है. इसके पत्तों पर जीमूतवाहन व देवता-पितरों को प्रसाद दिया जाता है. नहाय-खाय व पारण के दिन हरी-भूरी और लाल रंग की नोनी साग बनायी जाती है. नहाय-खाय में मडुआ की रोटी खाने की परंपरा है.

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