Bokaro News : कुष्ठ रोग का भी इलाज संभव : सिविल सर्जन

Bokaro News : सीएस कार्यालय सभागार में ‘कुष्ठ के लक्षण समझे, फिर निदान ढूंढे’ विषय पर कार्यशाला, बीमारी से बचाव की दी गयी जानकारी

By ANAND KUMAR UPADHYAY | March 18, 2025 10:17 PM

बोकारो, कैंप दो स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मंगलवार को ‘कुष्ठ के लक्षण समझे, फिर निदान ढूंढे’ विषय पर जिलास्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद, डीएलओ डॉ सुधा सिंह, पूर्व डीएस (सदर अस्पताल) सह एमओ डॉ अरविंद कुमार, राज्य समन्वयक डॉ एस भार्गव, काशीनाथ चक्रवर्ती, सलाहकार डॉ सज्जाद आलम ने संयुक्त रूप से किया. सीएस डॉ प्रसाद ने कहा कि कुष्ठ रोग शरीर पर गंभीर संक्रमण का असर होता है. किसी दैवीय प्रकोप का असर नहीं है. आम बोलचाल की भाषा में अन्य बीमारियों की तरह भी कुष्ठ रोग का इलाज संभव है. कुष्ठ की दवा उपचार की अवधि अलग-अलग होती है. यह कुष्ठ रोग के प्रकार व संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करती है.

फिजियोथेरेपी के माध्यम से किया जा सकता है सुधार

डॉ सुधा ने कहा कि पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग का आमतौर पर छह से 12 महीने तक इलाज किया जाता है. मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग के लिए 24 महीने तक का समय लग सकता है. फिजियोथेरेपी के माध्यम से सुधार किया जा सकता है. कुष्ठ संक्रमण के सही समय पर पहचान के लिए लगातार स्क्रीनिंग अभियान चलाया गया. कुष्ठ रोग के लक्षण व संकेत मरीज में अलग-अलग हो सकते है. त्वचा पर घाव या धब्बे के साथ सुन्न होना, मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा, नाक बंद होना या नाक से खून आना, त्वचा का मोटा होना, रंग बदल जाना, विशेष रूप से चेहरे-हाथों व पैरों पर असर दिखता है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार दो प्रकार का होता है कुष्ठ रोग

डॉ अरविंद ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार कुष्ठ रोग दो प्रकार के होते है. पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग (पीबी) कुष्ठ का हल्का रूप है. मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग (एमबी) में अधिक गंभीर रूप में त्वचा पर अनेक घाव होते हैं. प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. इस वजह से बैक्टीरिया पूरे शरीर में आसानी से फैल जाता है. इसके अलावे ट्यूबरकुलॉइड कुष्ठ रोग (टीटी), सीमा रेखा ट्यूबरकुलॉइड कुष्ठ रोग (बीटी), मध्य सीमा रेखा कुष्ठ रोग (बीबी), बॉर्डरलाइन लेप्रोमेटस कुष्ठ रोग (बीएल) व लेप्रोमेटस कुष्ठ रोग (एलएल) के प्रकार है. सभी में तंत्रिका तंत्र के क्षति होने की संभावना बनी रहती है. डॉ सज्जाद आलम ने कहा कि मरीज के आंखों में सूखापन, पलकें झपकना कम, लैगोफथाल्मोस (पलकों को पूरी तरह से बंद न कर पाना) या दृष्टि दोष होता है. बुखार व सामान्य रूप से अस्वस्थ होना प्रमुख है. कार्यशाला में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों को कुष्ठ मरीजों को दवा सेवन कराने की जानकारी भी दी गयी.

ये थे मौजूद

मौके पर स्नेहलता कुमारी, पिंकी कुमारी, ममता कुमारी, सुचिता कुमारी, शारदा कश्यप, पार्वती कुमारी, चंपा कुमारी, अंकित प्रजापति, रेखा कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, रेणू, मीना कुमारी, मणि शंकर कुमार, अजय कुमार, राजा रामकोला, भुनेश्वर महतो आदि मौजूद थे.

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